स्टॉकहोम: अफ्रीका में फैल रहे एमपॉक्स रोग की पुष्टि यूरोपीय देश स्वीडन में होने के बाद से चिंता बढ़ गई है। हाल ही में अफ्रीका की यात्रा करके लौटे एक स्वीडिश नागरिक में यह रोग पाया गया है। वायरस के प्रसार को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की थी।
ऑर्थोपॉक्स वायरस प्रजाति के मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाला रोग है एमपॉक्स। 1958 में बंदरों में पहली बार इस रोग का पता चला था। बाद में संक्रमित बंदरों के संपर्क में आने वाले अन्य जानवरों और मनुष्यों में भी यह रोग फैल गया। 1970 में कांगो में नौ महीने के एक बच्चे में पहली बार मनुष्यों में इस रोग की सूचना मिली थी।
मंकीपॉक्स के जान लें लक्षण
पिछली शताब्दियों में सामूहिक मौतों का कारण बने चेचक वायरस के ही वर्ग में मंकीपॉक्स भी आता है। शरीर पर चकत्ते उभरना इसका पहला लक्षण है। बाद में ये पस भरे बड़े दानों में बदल जाते हैं। बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द इसके अन्य लक्षण हैं। एमपॉक्स से संक्रमित होने के बाद यह रोग दूसरों में फैलने की आशंका बहुत अधिक होती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एमपॉक्स वायरस के संक्रमण के 21 दिनों के भीतर रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सीधा संपर्क, शारीरिक स्राव, रोगी द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं, कपड़े आदि से यह रोग फैल सकता है। इसके अलावा, संक्रमित गर्भवती महिलाओं से गर्भस्थ शिशु में भी यह रोग फैल सकता है।
अफ्रीका में सालभर में 14,000 मौतें
2022 में भी विभिन्न देशों में एमपॉक्स फैल गया था। लेकिन इस बार जो वायरस फैल रहा है, वह पहले से कहीं अधिक संक्रामक है। इस साल अफ्रीका में एमपॉक्स के 14,000 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और 524 मौतें हुई हैं। इनमें से 9 प्रतिशत मामले कांगो में हैं। कांगो की सीमा से लगे रवांडा और बुरुंडी के साथ-साथ केन्या, युगांडा जैसे पूर्वी अफ्रीकी देशों में भी यह वायरस फैल गया है।