
Naturopathy Day 2025: हर साल 18 नवंबर को Naturopathy Day 2025 मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के उद्देश्य नेचुरोपैथी को लेकर अवेयरनेस बढ़ाना। ऐसे में नेचुरोपैथी के अवसर पर अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है, होम्योपैथी और नेचुरोपैथी में क्या फर्क है और इनमें से कौन सी पद्धति हेल्थ और इलाज के लिए बेहतर है? ये दोनों ही ऑप्शनल मेडिकल प्रैक्टिस हैं, लेकिन उनकी मेथडोलॉजी, इलाज का तरीका, दवाओं का उपयोग और उद्देश्य सब कुछ पूरी तरह अलग होते हैं। होम्योपैथी जहां “Like cures Like” यानी समान से समान का उपचार किया जाता है, वहीं नेचुरोपैथी शरीर की नेचुरल हीलिंग प्रोसेस को ठीक करती है।
होम्योपैथी एक जर्मन मेडिकल प्रैक्टिस है जिसे डॉ. सैमुअल हैनीमैन ने डेवलप किया था। यह माइक्रो-डोज दवाओं पर बेस्ड है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को एक्टिव करके बीमारी को भीतर से ठीक करने का काम करती हैं। यह मुख्य रूप से साइनस, एलर्जी, माइग्रेन, स्किन डिसऑर्डर, ऑटोइम्यून समस्याओं और क्रोनिक बीमारियों में उपयोगी होती है।
नेचुरोपैथी एक नेचुरल हीलिंग प्रोसेस है जो फूड, पानी, मिट्टी, व्यायाम, सूर्य, मसाज और डिटॉक्स जैसे टैकनीक के जरिए शरीर को ठीक करती है। नेचुरोपैथी काम मानना है कि शरीर खुद को ठीक करने की क्षमता रखता है, बस उसे सही नेचुरल वातावरण चाहिए। यह मोटापा, डायबिटीज, गैस-एसिडिटी, हार्मोनल इंबैलेंस स्ट्रेस और लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों में ज्यादा इफेक्टिव मानी जाती है।
इसे भी पढ़ें- National Naturopathy Day: सन बाथ लेते समय ध्यान रखें 4 बातें, वरना पहुंचेगा नुकसान
होम्योपैथी: दवाओं के माइक्रो डोज से इलाज किया जाता है।
नेचुरोपैथी: नेचुरल तरीकों से हीलिंग, दवाइयों का उपयोग बहुत कम।
होम्योपैथी: Like cures Like (समान चीज बीमारी का इलाज करती है)।
नेचुरोपैथी: शरीर स्वयं ठीक होता है।
होम्योपैथी: शुगर पिल्स, टिंचर, डाइल्यूटेड मेडिसिन।
नेचुरोपैथी: योग, नेचुरल फूड, हाइड्रोथेरपी, मिट्टी का लेप, सूर्य स्नान।
होम्योपैथी: क्रोनिक बीमारी, एलर्जी, त्वचा और मानसिक समस्याएं।
नेचुरोपैथी: लाइफस्टाइल डिजीज, पाचन, हार्मोनल असंतुलन, डिटॉक्स।
होम्योपैथी: धीरे-धीरे लेकिन स्थायी असर।
नेचुरोपैथी: जल्दी सुधार, खासकर लाइफस्टाइल समस्याओं में।
इसे भी पढ़ें- होंठों की रंगत छीन सकते हैं रंग-बिरंगे लिप बाम, जरूर चेक करें यें इंग्रीडिएंट्स