Navratri 2023: क्यों कट्टू आटा खाते ही सैकड़ों लोग पहुंच जाते हैं अस्पताल, वजह जान हो जाएं सावधान

नवरात्रि में उपवास के दौरान ज्यादातर लोगों को कट्टू के आटे से बनी डिश खाना पसंद है। लेकिन यह हर साल सैकड़ों लोगों को अस्पताल पहुंचा देता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह इस आटे में मिलावट है या फिर कुछ और कारण है।

 

हेल्थ डेस्क.कुट्टू के आटे की पूरियां, हलवा या फिर पकौड़े ज्यादातर लोगों के घर उपवास के दौरान बनाई जाती है। यह दिल्ली और उसके आसपास इलाकों में काफी फेमस है। फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज से भरपूर कूट्टू का आटा सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन इसके खाने की वजह से हर साल सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं। सवाल है कि इसके पीछे वजह क्या है।

हरियाणा के सोनीपत में बुधवार को नवरात्रि के पहले दिन कुट्टू के आटे से बना खाना खाने से कम से कम 350 लोग बीमार पड़ गए। यूपी के मोदीनगर में भी लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हेल्दी आटा लोगों के लिए जहरीला कैसे हो जाता है, उसकी वजह है इसका पुराना और मिलावटी होना। जी हां, अगर कुट्टू का आटा पुराना और मिलावटी होती है तो यह जहरीला हो जाता है।

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क्या है कुट्टू का आटा?

कुट्टू या बकवीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है। यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है। यह पौधा घास परिवार से संबंधित नहीं होता है। अधिकांश अनाज घास परिवार के होते हैं। इस पौधे के बीज को कूट्टू कहते हैं जिसे पीसकर आटा बनाया जाता है। ये अनाज परिवार से जुड़ा नहीं है इसलिए व्रत के दौरान इसका सेवन किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी एफएओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में इसका विश्व उत्पादन 1.8 मिलियन टन था। रूस में इसका उत्पादन 49 प्रतिशत होता है। जबकि चीन में 28 प्रतिशत और यूक्रेन में 5 प्रतिशत। कट्टू को छिलके वाली गुठली, या दलिया, चावल की तरह पकाया और परोसा जाता है। ब्रिटानिका के अनुसार, अमेरिका और कनाडा में एक प्रकार का अनाज केक बनाने के लिए कुट्टू के आटे का उपयोग अकेले या गेहूं के आटे के साथ मिलाकर किया जाता है।

कुट्टू का आटा क्यों हो जाता है जहरीला

हरियाणा के सोनीपत में बुधवार को कुट्टू के आटे से बना खाना खाने से करीब 350 लोग बीमार पड़ गए। यूपी के मोदीनगर में भी लोगों को कुट्टू आटा खाने के बाद डिहाइड्रेशन, पेट दर्द और डायरिया के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था।डॉक्टरों के मुताबिक सभी मरीजों को फूड प्वाइजनिंग हुई थी। आशंका जताई जा रही है कि मिलावटी कुट्टू के आटे से बना खाना खाने के बाद वे बीमार पड़ गए।

कट्टू के आटे की लाइफ

कट्टू के आटे की लाइफ महीने होती है। अगर ये ज्यादा पुराना होता है तो जहरीला होने के चासेंज होते हैं। जबकि इसके बीज की लाइफ 6 महीने होती है। इस आटे की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं। इसके अलावा कुट्टू के आटे को हमेशा सूरज की रोशनी और मॉइश्चर से दूर रखना चाहिए। क्योंकि, मॉइश्चर के संपर्क में आने से इसमें बैक्टीरिया और फंगस पनपने लगता है। जो इसे जहरीला बना देता है। व्रत के दौरान तो इस आटे में मिलावट भी धड़ल्ले से की जाती है। जिसकी वजह से लोग बीमार पड़ते हैं।

मिलावट से कैसे बचें

कट्टू के आटे का रंग गहरा भूरा होता है। मिलावट होने के बाद यह ग्रे या हल्का हरा रंग हो सकता है। मिलावटी कुट्टू के आटे को आटे में बांधना और गूंथना भी मुश्किल होता है।

क्या है सही तरीका

सबसे अच्छा है कट्टू का बीज घर लाकर धो लें और सूखा लें। इसके बाद मिक्सी में पीछकर आटा बना लें। इससे आप मिलावट से बच जाएंगे।

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