बस एक बूंद और उतारकर फेंक देंगे चश्मा, क्या यह नई खोज लाएगी क्रांति?

प्रेसबायोपिया से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगी है। एंडोट फार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित 'PresVu' आई ड्रॉप्स, चश्मे के उपयोग को कम करने का दावा करती है।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 5, 2024 11:54 AM IST / Updated: Sep 05 2024, 05:25 PM IST

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पहले के ज़माने में अगर किसी को आँखों में दिक्कत होती थी तो उसे ठीक करवाने के आसार कम ही होते थे। अगर किसी की आँखों की रोशनी जाने लगे तो उसकी ज़िन्दगी अंधेरे में डूब जाती थी। लेकिन आज के समय में बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी की वजह से किसी की भी आँखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है। इसके लिए कई तरह के इलाज मौजूद हैं। डिजिटल युग में बच्चों से लेकर बड़ों तक, लगभग सभी को चश्मे का सहारा लेना पड़ रहा है।

ख़ास तौर पर 40 साल की उम्र पार करते ही ज़्यादातर लोगों को रीडिंग ग्लासेस की ज़रूरत पड़ने लगती है। ऐसे में एक नई दवाई की खोज हुई है। इस दवाई के इस्तेमाल से लोगों को चश्मा लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इस दवाई को भारतीय औषधि महानियंत्रक ने मंज़ूरी दे दी है। 

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नई आँखों की दवा: 

भारत के बड़े शहर मुंबई की कंपनी एंडोट फार्मास्युटिकल्स ने यह ख़ास दवाई बनाई है। कंपनी ने प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए 'PresVu' आई ड्रॉप्स बनाई है। पूरी दुनिया में लगभग 18 अरब लोग प्रेसबायोपिया से पीड़ित हैं। इस परेशानी को दूर करने में PresVu आई ड्रॉप्स मददगार साबित होंगी। 

प्रेसबायोपिया क्या है? 

यह एक उम्र के बाद होने वाली परेशानी है। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को पास की चीज़ें साफ़ दिखाई नहीं देती हैं। ज़ोर लगाकर देखने पर भी उन्हें चीज़ें धुंधली ही दिखाई देती हैं। उन्हें सब कुछ धुंधला-धुंधला सा नज़र आता है। ऐसे लोग किताबें नहीं पढ़ पाते हैं। उन्हें बहुत दिक्कत होती है। यह परेशानी 40 साल की उम्र के बाद शुरू होती है और 60 साल की उम्र तक आते-आते बहुत बढ़ जाती है। इस समस्या का अंत करने के लिए एंडोट फार्मास्युटिकल्स ने नई आई ड्रॉप्स बनाई है।  

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एंडोट फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई PresVu आई ड्रॉप्स को भारतीय औषधि महानियंत्रक से मंज़ूरी मिल चुकी है। 40 साल से ज़्यादा उम्र के प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों के लिए बनाई गई यह भारत की पहली आई ड्रॉप है जो चश्मे के इस्तेमाल को कम करने में मदद करेगी। दवाई को बाज़ार में उतारने की इजाज़त मिल चुकी है और कंपनी इस दवाई और इसके निर्माण प्रक्रिया का पेटेंट कराने की कोशिश कर रही है। 

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आई ड्रॉप्स कैसे काम करती है?: 

PresVu आई ड्रॉप्स आँखों में डालने के कुछ ही मिनटों में अपना काम शुरू कर देती है। इसे आँखों में डालने के 15 मिनट के अंदर ही आपकी आँखों की रोशनी तेज़ होने लगेगी। यह दवाई जल्द ही बाज़ार में उपलब्ध होगी। इसकी शुरुआती कीमत 350 रुपये होने की उम्मीद है। इस दवाई का इस्तेमाल हल्के से मध्यम दर्जे के प्रेसबायोपिया के मरीज़ कर सकते हैं। यह 40 से 55 साल की उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है। 

यह नई आई ड्रॉप प्रेसबायोपिया से राहत दिलाने में मदद करेगी। इसकी मदद से आपको 24 घंटे चश्मा लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। लगातार स्क्रीन देखने या कुछ पढ़ने से आँखें अक्सर ड्राई हो जाती हैं। यह आई ड्रॉप आपकी आँखों को ड्राई होने से भी बचाएगी। 

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इस आई ड्रॉप को सालों तक इस्तेमाल करने पर भी आँखों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है।PresVu आई ड्रॉप्स को एक दिन में नहीं बनाया गया है। इसे बनाने में कई सालों की रिसर्च लगी है। प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।

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