
Sleep and Heart Health Connection: रोजाना अच्छे से 6 से 8 घंटे की नींद अगर मिल जाती है तो शरीर में फ्रेशनेस फील होती है। वही दो या तीन घंटे की नींद के बाद शरीर खुद को बीमार सा महसूस करने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नींद के दौरान हमारे पूरे शरीर की मरम्मत होती है। जब नींद पूरी नहीं होती तो शरीर के कई काम अधूरे रह जाते हैं। इसी कारण से कम नींद लेने वालों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लंबे समय से पूरी नींद ना लेने के कारण दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप भी कम नींद ले रहे हैं तो जानिए कैसे दिल की बीमारी का खतरा आपको भी है।
जब दिल पर्याप्त मात्रा में खून को पंप नहीं कर पता है तो हार्ट फेलियर की समस्या पैदा हो जाती है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त नहीं पहुंच पाता है। व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है या फिर बेहोशी छा जाती है। अगर सही समय पर सीपीआर (CPR) ना दिया जाए तो मौके पर ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
नींद की समस्याओं में नींद के तरीके, नींद की क्वालिटी या नींद की मात्रा में गड़बड़ी शामिल होती है। जानिए नींद से जुड़ी कुछ खास समस्याओं के बारे में।
डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने पाया है कि नींद की समस्याओं और हार्ट फेलियर के बीच एक नहीं बल्कि कई तरह से संबंध है।
पर्याप्त नींद न लेने पर स्ट्रेस हार्मोन बनाता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। स्लीप एपनिया वाले लोगों में, सोते समय ऑक्सीजन का स्तर कम होने से, रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहना हार्ट फेलियर का एक बड़ा कारण है।
नींद की कमी शरीर में सूजन पैदा करती है। सूजन कई बीमारियों, खासकर दिल की बीमारी का एक प्रमुख कारण है। रक्त वाहिकाओं में लगातार सूजन धमनियों को सख्त बना देती है और दिल पर ज़्यादा दबाव डालती है।
नींद की कमी इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर इंसुलिन का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इससे टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है, जो हार्ट फेलियर का एक बड़ा कारण है।
नींद की कमी भूख बढ़ाने वाले हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ देती है। इससे खाने की संभावना बढ़ जाती है और मोटापा हो सकता है। मोटापा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी हार्ट फेलियर से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी जुड़ा है।
स्लीप एपनिया जैसी नींद की समस्याएं दिल की धड़कन में अनियमितता पैदा कर सकती हैं। खासकर एट्रियल फिब्रिलेशन नामक एक तरह की अरिथमिया, हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ा देती है।