
बिजी लाइफस्टाइल में समय की कमी के कारण नियमित रूप से टहलना या जिम जाना कई लोगों के लिए संभव नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक खास पैरों का व्यायाम करके बैठे या खड़े-खड़े ही शरीर को कई महत्वपूर्ण फायदे मिल सकते हैं? वैज्ञानिकों का दावा है कि यह व्यायाम वजन नियंत्रण, हृदय रोग के जोखिम को कम करने और यहां तक कि डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी कारगर है। इस व्यायाम का नाम है 'सोलेयस पुशअप'।
सोलेयस पुशअप एक आसान व्यायाम है जिसे आप टीवी देखते हुए, रोजमर्रा के काम करते हुए, ऑफिस की कुर्सी पर बैठे, यहां तक कि चलते-फिरते भी कर सकते हैं। बस अपनी एड़ियों को ऊपर उठाना और कुछ देर रोककर फिर नीचे करना है। अगर लगातार न कर पाएं, तो दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा करके भी फायदा मिलेगा।
कुर्सी पर बैठे या खड़े होकर बस अपनी एड़ियों को ऊपर उठाएं और नीचे करें। एक जगह खड़े होकर पैरों के पंजों पर भार डालते हुए एड़ियां ऊपर उठाएं और 5 सेकंड बाद नीचे कर लें। रोजाना कम से कम 15-20 मिनट करने से ही काफी फायदा होगा। अगर एक साथ लगातार न कर पाएं, तो बार-बार छोटे-छोटे सेट में करने से भी फायदा होगा। जिन लोगों को लंबे समय तक बैठकर या खड़े होकर काम करना पड़ता है, उन्हें यह व्यायाम करने से फायदा होगा।
सोलेयस मांसपेशी पैर के निचले हिस्से में काफ मसल का एक भाग होती है। इसे दूसरा हृदय (second heart) भी कहा जाता है, क्योंकि यह नसों का रक्त हृदय तक पहुंचाने में मदद करती है। इस मांसपेशी के एक्टिव रहने से शरीर में ब्लड का थक्का जमने या डीप वेन थ्रॉम्बोसिस जैसी समस्याएं नहीं होतीं। चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना जैसे पैरों के किसी भी काम में इस मांसपेशी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साथ ही, यह शरीर का संतुलन भी बनाए रखती है। अगर इस मांसपेशी को सक्रिय रखा जाए, तो हृदय स्वस्थ रहेगा, रक्त के थक्के जमने का खतरा कम होगा, पैरों में दर्द या गठिया के दर्द का जोखिम कम होगा और रक्त में शर्करा का स्तर भी नियंत्रण में रहेगा। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को इससे फायदा होगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में इस पर एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का दावा है कि नियमित रूप से सोलेयस पुशअप करने से डायबिटीज का खतरा 52 प्रतिशत तक कम हो सकता है। किसी भी उम्र के लोग, यहां तक कि बुजुर्ग भी यह व्यायाम कर सकते हैं। लेकिन अगर पहले से ही गठिया का दर्द है, तो व्यायाम करने से पहले किसी प्रशिक्षक की सलाह लेना ज़रूरी है।