स्टडी का बड़ा दावा: कैंसर के लिए नहीं करने होंगे महंगे टेस्ट, ये चींटियां सूंघकर कर लेंगी पहचान

कैंसर की पहचान और इलाज में देरी की वजह से मौत का जोखिम बढ़ता जाता है। वैज्ञानिक लंबे वक्त से कैंसर की पहचान के लिए आसान तरीका खोज रहे हैं। जिसमें उन्हें सफलता मिली है। नए शोध का दावा है कि चीटियां सूंघकर इस बीमारी की पहचान कर सकता है।

 

Nitu Kumari | Published : Jan 30, 2023 6:47 AM IST

हेल्थ डेस्क. कैंसर से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। इस बीमारी की पहचान और इलाज में देरी होने की वजह से यह मौत के मुंह में इंसान को धकेल देता है। वैज्ञानिक इस बीमारी को लेकर लगातार शोध कर रहे हैं, ताकि इसकी पहचान जल्द की जा सकें वो भी बिना चीर-फाड़ के।

कैंसर ट्यूमर से निकलता है खास कैमिकल

लेटेस्ट स्टडी में कैंसर की पहचान करने को लेकर एक बड़ा दावा किया गया है। जिसमें कहा गया है कि चींटियां सूंघकर इस खतरनाक बीमारी का पता लगा सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में मौजूद कैंसर ट्यूमर से वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड नाम का एक कैमिकल बाहर निकलता है। ये हमारे शरीर से पेशाब या पसीने के जरिए बाहर आता है। चींटियां इस केमिकल को सूंघकर कैंसर की पहचान कर लेगी। ऐसे में इसका पता तुरंत लगाया जा सकता है वो भी बड़े टेस्ट के बैगर। यह स्टडी दक्षिण एशिया और यूरोप में पाए जाने वाले फार्मिका फ्यूस्का चींटियों पर की गई।

कैसे की गई स्टडी

विशेषज्ञों ने ह्यूमन ब्रेस्ट कैंसर सेल को निकालकर चूहों में ट्रांसप्लांट कर दिया। फिर इसे ग्रो यानी फैलने दिया। इस तकनीक को जीनोग्राफ्टिंग कहा जाता है। फिर कैंसर की शिकार हुए चूहों के पेशाब के हेल्दी सैंपल को चींटियों के सामने रखा गया। पहले से ट्रेंड चींटियों ने कैंसर सेल्स की तुरंत पहचान क ली।

चींटियों में पाया जाने वाले केमिकल कैंसर ट्रीटमेंट में हो सकता है असरदार

चींटियों पर कैंसर को लेकर पहले भी कई तरह के एक्सपेरिमेंट हो चुके हैं। यह भी दावा किया गया है कि इसमें पाया जाने वाला एक केमिकल कैंसर की दवा के इफेक्ट को काफी बढ़ा सकता है।

कुत्तों से ज्यादा सफल हो सकती हैं चींटियां

फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च ने लेटेस्ट स्टडी में इसका दावा किया है। उन्होंने बताया कि कैंसर डिटेक्ट करने में चींटिया कुत्तों से ज्यादा सफल हो सकती हैं। इस रिसर्च को प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसायटी में प्रकाशित किया गया था। बता दें कि लंबे वक्त से तेज स्मेल वाले कुत्तों को कैंसर की पहचान करने की ट्रेनिंग मिलती रही है।

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