क्या पूरी तरह से ठीक हो सकता है बच्चों में बहरापन-गूंगापन? ENT सर्जन से जानिए...

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में बहरे और गूंगे लोगों की संख्या बहुत बड़ी है. हालाँकि, एक अच्छी खबर यह है कि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बच्चों का तीन साल की उम्र से पहले इलाज कर दिया जाए, तो बहरापन और गूंगापन पूरी तरह से ठीक हो सकता है.

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 24, 2024 11:56 AM IST / Updated: Sep 24 2024, 06:25 PM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार भारत में 63 मिलियन लोग बहरे और गूंगे हैं. यह जनसंख्या का 6.3% है. जन्म से बहरे लोगों को बोलना भी नहीं आता है. गूंगे लोगों को सुनाई भी नहीं देता है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के अनुमान के अनुसार भारत में प्रति एक लाख लोगों पर 291 लोग गंभीर और गहरे श्रवण दोष से पीड़ित हैं. 2011 की जनगणना में 1.3 मिलियन लोगों को श्रवण दोष होने की बात कही गई थी, लेकिन राष्ट्रीय संघ ने अनुमान लगाया है कि 18 मिलियन लोग बहरे हैं. भारत में बधिर और मूक लोगों को शिक्षा प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, एक चिंताजनक रिपोर्ट यह भी आई है कि आपराधिक दुनिया में इनका इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है.

इसे एक अभिशाप मानने वाले लोग ज़्यादा हैं. ऐसे बच्चों को पालने, उन्हें बड़ा करने के लिए माता-पिता को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, यह तो वही जानते हैं जिन्होंने इसे सहा है. हालाँकि अब कान सुनने में मदद करने वाले उपकरण आ गए हैं, लेकिन इन उपकरणों को लगाने से भी उन्हें ठीक से बोलना नहीं आता है. बस कुछ हद तक सुन सकते हैं. ट्रस्टवेल अस्पताल के कान, नाक और गले के विशेषज्ञ (ENT specialist) डॉ. दीपक ने अब एक दिलचस्प जानकारी साझा की है. 

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एंकर रैपिड रश्मि के शो में आए डॉ. दीपक ने बहरे, गूंगे समेत कुछ स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर बात की. उनके अनुसार, पांच साल से पहले, खासकर तीन साल के अंदर, यानी बच्चों के तीन साल के होने से पहले ही अगर उनका सही इलाज कर दिया जाए तो बहरेपन और गूंगापन की समस्या को 100% दूर किया जा सकता है! जी हां. उनका कहना है कि आमतौर पर माता-पिता को बच्चों के बहरे या गूंगे होने का पता ही नहीं चलता है. पांच साल की उम्र तक इसका पता ही नहीं चल पाता है. उसके बाद वे घबरा जाते हैं. तब समस्या का समाधान करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए पांच साल के होने से पहले ही, खासकर तीन साल पूरे होने से पहले ही इलाज करा लिया जाए तो इस दुनिया में कोई भी बहरा-गूंगा नहीं होगा, उनका यही कहना है. 

इस दौरान डॉ. दीपक ने पुनीत राजकुमार को भी याद किया. कन्नड़ के करोड़पति शो के दौरान पुनीत ने एक बच्चे के इलाज के लिए पांच लाख रुपये दिए थे. वह बच्चा अब ठीक से बोल और सुन सकता है. इसलिए कम उम्र में ही इसका पता चल जाए तो समस्या का स्थायी समाधान हो जाता है. अगर उम्र ज़्यादा हो गई है, तो श्रवण दोष को दूर करने के लिए कुछ उपकरण आ गए हैं. लेकिन कम उम्र में ही इलाज मिलने पर इसका पूरा इलाज संभव है. 
 

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