बच्चों और महिलाओं पर COVID-19 महामारी का असर, टाइप-1 डायबिटीज का बढ़ा मामला, लेकिन...

Published : Feb 01, 2024, 09:20 AM IST
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सार

मौतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ स्टडी ने एनआईसीयू में डायबिटीज से जुड़े बच्चों के एडमिशन और एडल्ट में डायबिटीज केटोएसिडोसिस (DKA) के मामलों में बढ़ोतरी की पहचान की है। 

हेल्थ डेस्क.कोविड -19 महामारी (Covid-19 Pandemic) में अनगिनित जानें गई। कई तरह के साइड इफेक्ट आज भी लोगों में देखने को मिल रहे हैं। इसी में एक मामला डायबिटीज से जुड़ा है।द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक नए स्टडी से पता चलता है कि पैडेंमिक से डायबिटीज पेशेंट में इसकी वजह से मौतों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। हालांकि महामारी के दौरान डायबिटीज पेशेंट के आंखों की रोशनी कमजोर हुई। इसके अलावा और भी समस्या उनमें देखने को मिली।

महिलाओं ,युवा और नस्लीय या जातीय अल्पसंख्यकों के बीच महामारी का असर निगेटिव रहा। अलग-अलग 138 स्टीडज के विश्लेषण करते हुए ग्लोबल एनालिसिस खासकर कमजोर आबादी के लिए डायबिटीज की दवा और देखभाल लगातार पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के शोधकर्ताओं समेत वाइल्ड स्टडी ने उत्तरी अमेरिका पश्चिमी यूरोप, एशिया और अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया। चिंताओं के विपरीत, महामारी के दौरान मधुमेह से पीड़ित लोगों में कोविड से संबंधित मौतों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। हालांकि शोध ने इस समूह में आंखों की रोशनी से जुड़े जटिलताओं में बढ़ोतरी की बात कहीं। परेशान करने वाली बात यह है कि इसका प्रभाव महिलाओं , बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों पर अधिक स्पष्ट था।

महामारी की अहम चिंताएं 

स्टडी के मुख्य लेखकजेमी हार्टमैन-बॉयस ने महामारी के दौरान डायबिटीज पेशेंट के लिए गंभीर बीमारी के बढ़ते जोखिम को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया। मौतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ स्टडी में सामने आया कि बाल चिकित्सा आईसीयू में वैसे बच्चे ज्यादा एडमिट हुए जिनमें डायबिटीज देखा गया। एडल्ट में डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) के मामलों में बढ़ोतरी की पहचान की। डीकेए जो जीवन घातक है महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी देखी गई। जिसकी वजह से बच्चों और उनके परिवारों की भलाई के बारे में चिंताएं बढ़ गईं।

इलाज नहीं मिलने की वजह से मौतों के संख्या में इजाफा

हालांकि इस स्टडी में यह भी जिक्र किया गया कि महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच कम होने से डायबिटीज मैनेज करने पर असर पड़ा। जिसकी वजह से डायबिटीज से मौत के दर में बढ़ोतरी हुई। टाइप 1 डायबिटीज के नए मामलों में इसकी वजह से तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जिसमें शीघ्र पता लगाने के लिए नियमित प्राथमिक देखभाल यात्राओं के महत्व पर जोर दिया गया।

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