क्या है mpox, जिसे WHO ने बताया ग्लोबल इमरजेंसी, क्यों है इतना चिंताजनक?

Published : Aug 17, 2024, 12:31 PM ISTUpdated : Aug 17, 2024, 12:40 PM IST
monkeypox

सार

WHO ने mpox के संक्रमण को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। नए प्रकोप के लिए mpox का क्लेड I जिम्मेदार है। इससे ज्यादा घातक बीमारी होती है। 

हेल्थ डेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने अफ्रीका में फैले mpox को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। mpox वायरस का घातक स्ट्रेन क्लेड आईबी कांगो में तेजी से फैल रहा है। यह अफ्रीका के कम से कम चार ऐसे देशों में पहुंच गया है जहां पहले नहीं था। WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि इसके अफ्रीका के बाहर के देशों में फैलने का जोखिम है।

mpox क्या है?

mpox को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था। यह अब समाप्त हो चुके चेचक वायरस से संबंधित एक वायरल बीमारी है। WHO के अनुसार, यह छूने, चूमने या सेक्स जैसे नजदीकी संपर्क के साथ-साथ चादरें, कपड़े और सुई जैसी सामान शेयर करने से भी फैल सकता है।

mpox का संक्रमण लगने पर मरीज में आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। इसमें बुखार, ठंड लगना, थकावट, सिरदर्द और मांसपेशियों में कमजोरी शामिल है। इसके बाद मरीज की त्वचा पर दर्दनाक या खुजलीदार दाने निकलते हैं। इसमें घाव हो जाता है। इलाज होने पर ये कुछ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।

कितना अलग है mpox का नया प्रकोप?

mpox की विशेषता दो आनुवंशिक क्लेड, I और II है। क्लेड वायरस का एक व्यापक समूह है जो दशकों में विकसित हुआ है। ये आनुवंशिक रूप से अलग-अलग हैं। इनके इलाज में भी अंतर होता है। क्लेड II फैलने के चलते जुलाई 2022 से मई 2023 तक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया था।

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2024 में क्लेड I का संक्रमण फैला है। इससे अधिक घातक बीमारी होती है। वायरस का वर्तमान वेरिएंट क्लेड आईबी अपेक्षाकृत नया है। यह इंसानों में फैलने के लिए अधिक अनुकूलित है। FIND के डॉ. डैनियल बॉश के अनुसार mpox वायरस अक्सर जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। यह इंसानों द्वारा तेजी से फैलाया जा सकता है। इससे बड़े पैमाने पर प्रकोप का खतरा रहता है।

कितना खतरनाक है mpox का क्लेड 1?

mpox क्लेड I के कुछ प्रकोपों ​​ने बीमार होने वाले 10% लोगों को मार डाला है। यू.एस. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार क्लेड II के लिए मृत्यु दर 0.2% से कम है। इससे बच्चों, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग और गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा है।

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