डेंगू -मलेरिया ही नहीं वेस्ट नाइल फीवर भी मच्छर के काटने से फैलता है, जानें बीमारी के लक्षण और ट्रीटमेंट

अमेरिका के नॉर्थ डकोटा के हेल्थ डिपार्टमेंट वेस्ट नाइल वायरस से घबराया हुआ है। बुधवार को हेल्थ डिपार्टमेंट ने घोषणा की कि एलेघेनी काउंटी के कुछ हिस्सों में एकत्र किए गए मच्छरों में वेस्ट नाइल वायरस पाया गया है। आइए जानते हैं इस वायरस के बारे में।

Nitu Kumari | Published : Jul 24, 2023 1:16 AM IST

हेल्थ डेस्क. गर्मी और बरसात का मौसम आते ही मच्छरों की संख्या बढ़ने लगती है और इसकी वजह से कई बीमारियां भी होने लगती हैं। डेंगू-मलेरिया के अलावा मच्छर वेस्ट नाइल फीवर (west nile virus) को भी फैलता है। हालांकि भारत में इसके केस ना के बराबर अभी सामने आये हैं, लेकिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में हर साल इससे जुड़े मामले सामने आते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण और ट्रीटमेंट।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वेस्ट नाइल का पहला मामला 1937 में सामने आया था। उस वक्त युगांडा की एक महिला इससे संक्रमित हुई थी।1953 में उत्तरी मिस्र के नाइल डेल्टा रीजन पक्षियों के अंदर इस वायरस की पहचान हुई। कबूतर और कौओं में यह वायरस पाया गया था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक 50 साल में कई देशों में इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने के मामले सामने आ चुके हैं।

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मच्छरों के जरिए फैलने वाले यह वायरस आम तौर पर जानवरों और पक्षियों में फैलता है। जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है। लेकिन इस वायरस के म्यूटेंट होने की वजह से इंसानों में भी फैलने लगा है। मच्छरों के जरिए यह इंसानों में आने लगा है। दरअसल, मच्छर किसी संक्रमित पक्षी को काटते हैं तो यह वायरस उनमें आ जाता है।

वेस्ट नाइल वायरस के लक्षण

WHO के मुताबिक, इस वायरस की चपेट में आने वाले 80 फीसदी से ज्यादा संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। बाकी 20 फीसदी संक्रमित वेस्ट नाइल फीवर के शिकार हो जाते हैं।

बुखार, सिरदर्द ,शरीर में दर्द और उल्टी, दाने या पेट की समस्या इसके लक्षण के रूप में नजर आते हैं। कुछ लोगों को मेटल प्रॉब्लम्स भी इसकी वजह से होती है।

वेस्ट नाइल फीवर का इलाज

अभी तक इंसानों के लिए इस वायरस से बचने की कोई वैक्सीन हीं है। बुखार और इससे जुड़े लक्षण की दवा दी जाती है। इसके अलावा मरीज को रेस्ट करने के लिए कहा जाता है।

कैसे करें बचाव

आम तौर पर, मच्छर सूर्योदय और सूर्यास्त के आसपास सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। मच्छर से बचने के लिए इस वक्त पर मच्छर को दूर रखने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। लंबी आस्तीन और पैंट पहनकर मच्छरों को काटने से रोक सकते हैं। इस वायरस से बचने के लिए जरूरी है कि अपने आसपास साफ-सफाई रखें और मच्छरों को पनपने न दें।

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