
Workplace Stress And Diabetes Risk: आमतौर पर हम डायबिटीज को खराब लाइफस्टाइल, खानपान से जोड़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी नौकरी का तनाव भी इस गंभीर बीमारी की एक वजह बन सकता है। एक नई स्टडी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि वर्कप्लेस पर इमोशनल तनाव, टकराव और सहयोग की कमी डायबिटीज के खतरे को 24% तक बढ़ा सकती है।
Occupational and Environmental Medicine नामक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक इमोशनल स्ट्रेस वाली नौकरी करने वालों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 24 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। महिलाएं जिनके वर्कप्लेस पर सोशल सपोर्ट कम है, उनमें यह जोखिम और भी ज्यादा 47 प्रतिशत तक देखा गया है। पुरुषों में भी इमोशनल स्ट्रेस और टकराव से 20% और 15% अधिक जोखिम देखा गया।
स्टडी में पाया गया कि सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा और होटल जैसी जगहों पर काम कर रहे लोगों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा देखा गया है। उनकी नौकरियों को तीन तरह की स्थितियों में बांटा गया:
1.सामान्य बातचीत वाली नौकरियां
2.ऐसी नौकरियां जिनमें इमोशनल स्ट्रेस ज्यादा होता है
3.ऐसी नौकरियां जहां लोगों से आमने-सामने बहस या टकराव होता है
स्टडी में यह देखा गया कि लोगों को अपने काम में कितना बात करना पड़ता है, कितना मानसिक दबाव होता है और कितनी बार उन्हें दूसरों से उलझना पड़ता है।
इनमें सबसे अधिक जोखिम इमोशनल रूप से थका देने वाली बातचीत और टकराव में पाया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार,'लगातार तनाव एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे कोर्टिसोल (Stress Hormone) का प्रोडक्शन बढ़ता है।
इससे शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ जाती है, जो टाइप 2 डायबिटीज का अहम कारण है।
वर्कर्स को अक्सर अपनी सच्ची भावना को छुपाकर सामाजिक या प्रोफेशनल रूप से परफेक्ट भाव दिखाने की अपेक्षा की जाती है। यह इमोशनल डिसोनेंस (अंदर की भावना और बाहर के व्यवहार में अंतर) बेहद तनावपूर्ण होता है, जिससे शरीर पर लॉन्गटर्म निगेटिव असर पड़ सकता है।
डायबिटीज को खुद से दूर रखने या फिर कंट्रोल करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें। हेल्दी डाइट लें। वक्त पर नाश्ता करें और वेट कंट्रोल रखें। इसके अलावा तनाव से बचना चाहिए। अगर डायबिटीज हो गया है तो जो भी दवाएं ले रहे हैं उसे वक्त पर लें। टाइम टू टाइम डायबिटीज का लेबल चेक करते रहें।