World Heart Day 2023: आखिर क्यों लगाया जाता है पेसमेकर, जानें क्या है प्रोसेस और खर्च

World Heart Day 2023: आज के दौर में खराब लाइफस्टाइल और गलत खान-पान की वजह से हार्ट का हेल्दी रख पाना मुश्किल हो रहा है। कई बार हार्ट का धड़कना कम हो जाता है। जिसकी वजह से पेसमेकर का सहारा लेना पड़ता है। आइए जानते हैं क्या होता है पेसमेकर सर्जरी।

Nitu Kumari | Published : Sep 26, 2023 3:48 AM IST

हेल्थ डेस्क. शरीर को सही तरीके के चलने के लिए दिल का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है। हार्ट है तो जिंदगी है, लेकिन कई बार हमारी लापरवाही की वजह से इसकी सेहत पर गलत असर पड़ता है और इसका धड़कना कम हो जाता है। जिसकी वजह से हम मौत के करीब पहुंच जाते हैं। 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे (World Heart Day 2023) मनाया जाता है। तो चलिए बताते हैं दिल का धड़कना क्यों जरूरी है और अगर इसकी रफ्तार धीमी पड़ जाए डॉक्टर क्या करते हैं।

पेसमेकर कैसे करता है काम

दिल एक निरंतर धड़कन वाला इंजन है जो हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाता रहता है। ब्लड को लगातार पंप करने का काम यह करता है। इसलिए इसका ठीक होना जरूरी होता है। लेकिन कई बार हमारा दिल हमारी गलत आदतों और कुछ बीमारियों की वजह से कमजोर पड़ जाता है। जिसकी वजह से उसे पेसमेकर का सहारा दिया जाता है। पेसमेकर बैटरी से चलने वाला एक मशीन है। सर्जरी के जरिए इसे छाती में रखा जाता है। यह धीरे-धीरे इलेक्ट्रिकल इंपल्स को पैदा करता है। जो कि हार्ट तक लंबी और पतली तारों द्वारा ले जाई जाती है। यह पहले हार्ट बीट को महसूस करता है और इसके बाद हार्ट की मांसपेशियों तक सिग्नल पहुंचाता है। यह हार्ट बीट को कंट्रोल करता है। पेसमेकर दो तरह के होते हैं। एक स्थायी और दूसरा अस्थायी।

पेसमेकर कब लगाया जाता है

अस्थायी पेसमेकर तब लगाया जाता है जब हार्ट अटैक, हार्ट सर्जरी या किसी दवा की अत्यधिक खुराक लेने के कारण हार्ट ठीक से धड़क नहीं पाता है तो अस्थायी पेसमेकर लगाया जाता है। वहीं, स्थायी पेसमेकर तब लगाया जाता है जब व्यक्ति को लंबे समय से कोई हार्ट की समस्या होती है। जैसे उसकी धड़कन अनियमित होता है या दिल का रोग हो।

पेसमेकर लगाने के बाद कब तक रहना पड़ता है अस्पताल में

सर्जरी से पहले कुछ जरूरी टेस्ट किए जाते हैं। जैसे ब्लड टेस्ट, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, यूरिन टेस्ट। पेसमकेर लगाने के बाद मरीज को दो से तीन दिन तक अस्पताल में ही रखा जाता है। ताकि ये देखा जा सकें कि पेसमेकर ठीक से काम कर रहा है या नहीं। अस्थायी पेसमेकर लगाने के बाद मरीज को अस्पताल में ही तब तक रखा जाता है जबतक कि स्थायी पेसमेकर उसे ना लग जाए। पेसमेकर लगाने के बाद मरीज को टाइम टू टाइम डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।

पेसमेकर लगाने का लागत

भारत में निजी और सरकारी अस्पताल में पेसमेकर लगाया जाता है। लागत की बात करें तो यह 2,75,000 रुपये से 3,00,000 रुपये तक आता है। सरकारी अस्पताल में लागत थोड़ा कम हो जाता है। सरकार इसे लेकर अनुदान भी देती है, ताकि गरीब मरीज का इलाज हो सकें।

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