टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस हजारों महिलाओं को मां बनने का सपना तोड़ देता हैं। देश में टीबी के शिकार महिलाओं में से 10 प्रतिशत बांझपन की समस्या से जूझ रही होती हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने भी हैरान करने वाला आंकड़ा सामने रखा है।
हेल्थ डेस्क. वैसे तो क्षय रोग (टीबी) का इलाज संभव है, लेकिन अगर ट्रीटमेंट के बिना इसे छोड़ दिया जाए तो शरीर को अंदर से खोखला कर देता है। कभी इसे कैंसर की तरह खतरनाक बीमारी माना जाता था। लाइलाज बीमारी के दायरे में रखा गया था आज आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है। बशर्ते की इसके लक्षण को पीड़ित पहले पहचान जाएं। क्षय रोग ना सिर्फ हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि महिलाओं को बांझ भी बना देता है।
ट्यूबरकुलोसिस को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक तस्वीर पेश की। जिसमें बताया गया कि हर साल यहां 3 हजार से ज्यादा महिलाएं ट्रीटमेंट करवाने आती हैं। जिसमें 16 से 18 प्रतिशत महिलाओं में टीबी के कारण बांझपन पाया गया है। देश में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत तक है।
टीबी महिलाओं के पीरियड्स को भी करता प्रभावित
अक्सर देखा गया है कि औरतें अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं। यदि वो बीच में टीबी का इलाज छोड़ देती हैं तो ठीक होने के बाद फिर से बीमार हो सकती हैं। यह बीमारी महिलाओं के पीरियड्स पर भी असर डालता है। वक्त से पहले उनका पीरियड्स आना बंद हो जाता है।
गर्भ में पल रहे बच्चे को भी टीबी का खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि औरतों में होने वाली ट्यबूरकुलोसिस उनके गर्भाशय पर भी बुरा असर डालता है। महिलाएं अगर टीबी पेशेंट हैं और वो गर्भवती होती है तो उन्हें अपना खास ख्याल रखना चाहिए। डॉक्टर के कहने के अनुसार उन्हें टीबी की दवा लेते रहने चाहिए। अगर वो इसे बंद कर देती हैं तो फिर पेट में पल रहे बच्चे को भी टीबी का खतरा होता है।
टीबी के लक्षण
लंबे समय तक खांसी और बुखार
भूख ना लगना और कमजोरी आना
अचानक वजन घटना
दो सप्ताह से अधिक सिर में दर्द रहना
बच्चों में सुस्ती रहना
हड्डियों में दर्द का रहना
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो टीबी किसी भी उम्र में हो सकता है। यह शरीर के किसी भी अंग को अपना शिकार बना सकता है।2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
संक्रामक बीमारी
टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति की खांसी और छींक से आसानी से फैलती है। इसलिए टीबी पेशेंट को अलग रखना चाहिए। उसके कपड़े और बर्तन भी अलग रखने चाहिए। मास्क लगाकर मरीज के पास जाना चाहिए।