शादी के सालों बाद भी नहीं हो रहा बच्चा? तो 3 Yoga Tips से बढ़ाएं फर्टिलिटी

Published : Jun 21, 2024, 08:38 AM ISTUpdated : Jun 21, 2024, 09:40 AM IST
Yoga for Fertility and conceive baby World yoga day 2024

सार

Boost Fertility With Yoga: 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। ऐसे में योग दिवस के उपलक्ष्य में आज हम आपको ऐसी 3 योगा टिप्स बता रहे हैं जो कि फर्टिलिटी की समस्या कम कर महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में मदद कर सकते हैं।

हेल्थ डेस्क: मां बनना हर महिला के लिए एक सुखद अहसास होता है। लेकिन आजकल के गलत खानपान, खराब लाइफस्टाइल और बढ़ते स्ट्रैस की वजह से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या काफी बढ़ चुकी है। इसी वजह से महिलाओं को कंसीव करने में काफी परेशानी होती है। अगर आप भी बेबी प्लान कर रही हैं, तो अपने रूटीन में कुछ योगासनों को शामिल कर सकती हैं। ये योगासन महिलाओं की फर्टिलिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं, जिससे कंसीव करने में आसानी होती है। इतना ही नहीं ये योगासन मेल में भी फर्टिलिटी बढ़ाने का काम करते हैं। जानें उन 3 योगासनों के बारे में-

तितली आसन

जब आप अपने बायोलॉजिकल क्लॉक से उलट काम करेंगे, तो शरीर में थकान और कमजोरी होने लगती है। थकान दूर करने के लिए आप रोजाना तितली आसन कर सकते हैं। इससे थकान दूर होने के साथ-साथ बॉडी रिलैक्स भी फील करती है। इतना ही नहीं तितली आसन महिलाओं के लिए खासकर बहुत लाभकारी है। अगर आप रेगुलर इस आसन को करते हैं, तो इससे रिप्रोडक्टिव अंगों को फायदा और फर्टिलिटी रेट को बढ़ावा मिलता है, यह महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काफी मदद करता है और इससे जुड़ी समस्याओं से भी राहत दिलाता है। यही नहीं, मेनोपॉज के बाद भी इस आसन से महिलाओं को काफी लाभ पहुंचते हैं।

बद्धकोणासन रोलिंग

रोजाना इस योग को करने से तनाव में आराम मिलता है। इस आसन को करने से प्रसव आसानी से हो जाता है। बद्धकोणासन मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा को कम कर फर्टिलिटी रेट को प्रमोट करता है। यह आसन रजोनिवृति के लक्षणों में भी आराम दिलाने में सहायक है। इस आसन का प्रभाव जांघों और घुटनों पर पड़ता है जिसके कारण श्रोणि एवं कूल्हों में लचीलापन आने लगता है। ज्यादा देर चलने की वजह से होने वाली थकान दूर करता है।

रेचक प्राणायाम

कई तरह के प्राणायाम में से एक रेचक है। इस प्राणायाम की विधि से आपके शरीर में होने वाली ऑक्सीजन की कमी दूर होती है । जब आप सांस लेते हो तो सांस के माध्यम से ऑक्सीजन आपके फेफड़ों में जाता है फिर फेफड़ों से आपके ह्रदय में होते हुए खून में घुलता है और पूरे शरीर में फैल जाता है। जैसा कि सांस लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं । सांस को छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। पूरक रेचक प्राणायाम से शरीर में आठ गुना अधिक मात्रा में ऑक्सीजन फेफड़ों की सबसे सूक्ष्म संरचना तक पहुंचता है। मानसिक शांति और स्ट्रैस कम करते हुए ये प्राणायाम मेल और फीमेल दोनों की ऐग क्वालिटी को बढ़ाता है।

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