क्या आपका बच्चा हो रहा है गुस्सैल, ये 5 टिप्स अपना कर ला सकते हैं उसमें बदलाव

ऐसा देखने में आता है कि कुछ बच्चों का स्वभाव तेजी से बदलने लगता है। कई बार वे तुरंत गुस्से में आ जाते हैं। यहां तक कि वे गाली-गलौच और मार-पीट भी करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पेरेन्ट्स को बच्चों पर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत होती है।

लाइफस्टाइल डेस्क। ऐसा देखने में आता है कि कुछ बच्चों का स्वभाव तेजी से बदलने लगता है। कई बार वे तुरंत गुस्से में आ जाते हैं। यहां तक कि वे गाली-गलौच और मार-पीट भी करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पेरेन्ट्स को बच्चों पर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत होती है। दरअसल, बच्चे अपने आस-पास के माहौल से ही सारी बातें सीखते हैं। अगर बच्चों के व्यवहार में गुस्सा दिखाई देता हो या किसी भी मामूली बात पर वे आवेश में आ जाते हैं और गाली-गलौच करने लगते हैं, तो इसका मतलब है कि उनके घर का माहौल सही नहीं है। यह भी हो सकता है कि वे यह सब दोस्तों से सीख रहे हों। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। जानें कुछ टिप्स। 

1. बच्चे की संगति का ध्यान रखें
कई बार पेरेन्ट्स को यह पता नहीं होता कि उनके बच्चे की संगति कैसी है। बच्चों पर दोस्तों के व्यवहार का बहुत जल्दी असर होता है। अगर बच्चे के दोस्त गाली-गलौच देते हों या किसी के साथ बढ़िया व्यवहार नहीं करते हों, तो वह इसे तुरंत सीख लेगा। इसलिए इस बात पर नजर रखना जरूरी है कि बच्चे के दोस्त कैसे हैं।

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2. पहली बार में ही टोकें
अगर बच्चा घर में या बाहर किसी के साथ गलत तरीके से पेश आता है, तो तुरंत उसे टोकें। उसे डांटना-डपटना सही नहीं होगा, लेकिन समझाएं कि किसी को गलत बात कहना ठीक नहीं है। उसे सभ्यता के साथ पेश आने को कहें। इसके साथ ही, यह भी देखना होगा कि कहीं घर में लोग अपशब्दों का इस्तेमाल तो नहीं करते। 

3. बच्चे की पढ़ाई पर रखें नजर
बच्चे की पढ़ाई पर खास तौर पर नजर रखें। यह देखने की कोशिश करें कि बच्चे का मन पढ़ाई में लगता है या नहीं। कई बच्चे समय पर पढ़ने के लिए बैठ तो जाते हैं, लेकिन वे मन लगाकर नहीं पढ़ते। अगर बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा और वह पढ़ाई में अच्छा होगा तो उसका व्यवहार बहुत खराब नहीं हो सकता। ऐसे बच्चों के दोस्त कम होते हैं और जो होते हैं, वे अच्छे होते हैं। अगर बच्चा पढ़ाई से कतराता हो तो उसे सही रास्ते पर लाने का उपाय करना होगा।

4. बच्चों के साथ कुछ समय जरूर बिताएं
पेरेन्ट्स को चाहिए कि वे बच्चों के साथ रोज कुछ समय जरूर बिताएं। ऐसा करने से बच्चों में पॉजिटिविटी बढ़ती है और उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस मजबूत होता है। बच्चों से बातचीत करने से पता चल जाता है कि वे क्या सोच रहे हैं। इससे बच्चों को भी अपने मन की बात कहने का मौका मिलता है। 

5. अच्छे-बुरे का फर्क समझाएं
बच्चों को छोटी उम्र से ही अच्छे-बुरे का फर्क समझाना चाहिए। क्या करना अच्छा है और क्या गलत, यह बच्चों को जरूर बताना चाहिए। बच्चे बड़ों के व्यवहार की नकल करते हैं। इसलिए बच्चों के सामने गुस्सा करना, किसी को डांटना या अपशब्द नहीं कहना चाहिए। इसे बच्चे तुरंत सीख लेंगे। फिर उपदेश देने का उन पर कोई खास असर नहीं होगा। बच्चों को महाभारत, रामायण, पंचतंत्र और हितोपदेश जैसी किताबों की कहानियां जरूर सुनानी चाहिए। इसका उनके मन पर गहरा असर पड़ता है और भले-बुरे में फर्क समझ में आने लगता है। 

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