
भारत की परंपरा में मंगलसूत्र सिर्फ गहना नहीं बल्कि शादीशुदा जीवन की सबसे बड़ी निशानी माना जाता है। हर राज्य में इसका अलग डिजाइन और पहनने का तरीका होता है। महाराष्ट्र और साउथ इंडिया में खासतौर पर दो वटी वाला मंगलसूत्र बहुत फेमस है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि इस मंगलसूत्र में दो वटी क्यों होती हैं? जानें इसके मायने और प्रतीक को विस्तार से।
मंगलसूत्र में लगी दो गोल वटी असल में पति और पत्नी का प्रतीक होती हैं। ये वटी गोल और पेंडेंट जैसी होती हैं, जिन्हें मंगलसूत्र की काली मोती की चेन में पिरोया जाता है। इसका अर्थ होता है – जैसे ये दोनों गोल वटी एक ही धागे में जुड़े हैं, वैसे ही पति-पत्नी का रिश्ता भी जन्म-जन्मांतर तक जुड़ा रहेगा।
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हिंदू धर्म में वटी को संपूर्णता और अखंडता का प्रतीक माना गया है। जब शादी के समय दूल्हा-दुल्हन को ये दो वटी वाला मंगलसूत्र पहनाता है तो इसके पीछे यह भाव होता है कि पति-पत्नी हमेशा एक-दूसरे के पूरक रहेंगे और उनका जीवन एक दूसरे के बिना अधूरा है।
अगर वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो काले मोती और वटी का शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है। कहा जाता है कि वटी का गोल आकार और काले मोती शरीर में आने वाली नेगेटिव एनर्जी को रोकते हैं और महिला की हेल्थ को प्रोटेक्ट करते हैं।
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ट्रेंड आजकल ज्वैलर्स इस ट्रेडिशनल डिजाइन को मॉडर्न ट्विस्ट दे रहे हैं। वटी के साथ डायमंड या स्टोन भी जोड़े जाते हैं, जिससे ये डिजाइनर मंगलसूत्र की तरह दिखता है और रोजमर्रा के वियर में भी स्टाइलिश लगता है।