International Day of Non-Violence:क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, जानें इतिहास और महत्व

2 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2007 से इस दिन को Non-Violence day के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। क्या अहिंसा दिवस का कनेक्शन महात्मा गांधी से है आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।

Nitu Kumari | Published : Oct 2, 2023 3:57 AM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. हर साल 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) को मनाया जाता है। यह हमें शांति और अहिंसक विरोध के वैश्विक प्रतीक महात्मा गांधी की स्थायी विरासत की याद दिलाता है। महात्मा गांधी के जयंती पर इस दिन को मनाने का फैसला संयुक्त राष्ट्र ने साल 2007 में लिया। इस दिन को सेलिब्रेट करके गांधी जी को श्रद्धांजलि दी जाती है। प्रेम, सच्चाई और शांतिपूर्ण काम के जरिए कुछ भी पाया जा सकता है ये सीख महात्मा गांधी ने पूरी दुनिया को दी थी।

अहिंसा दिवस का इतिहास (International Day of Non-Violence History)

साल 2004 में ईरानी नोबेल पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने अहिंसा के अंतरराष्ट्रीय दिवस का विचार प्रस्तावित किया।संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा में महात्मा गांधी के दर्शन और विरासत के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव रखा गया। महासभा के कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज़्यादा देशों ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई। जिसके बाद साल 2007 से महात्मा गांधी के जयंती पर अहिंसा दिवस मनाया जाने लगा।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व

इस दिन संघर्ष समाधान के लिए अहिंसक नजरिए को बढ़ावा देने और सहिष्णुता, समझ और करुणा के महत्व पर जोर देने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। दुनिया भर में इसे लेकर कई कार्यक्रम सेमिनार, कार्यशालाएं और शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह उन अन्य व्यक्तियों और आंदोलनों को याद करने का भी दिन है जिन्होंने अहिंसा का समर्थन किया और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन में योगदान दिया।अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस महात्मा गांधी की शिक्षाओं की स्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालता है। व्यक्ति, समुदाय, राष्ट्र अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए किसी भी विवाद का समाधान निकाल सकते हैं।

कौन थे महात्मा गांधी

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में पैदा हुए महात्मा गांधी को अहिंसक सविनय अवज्ञा और शांतिपूर्ण विरोध के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने सत्याग्रह (सत्य बल) और अहिंसा (अहिंसा) जैसे अहिंसक तरीकों का उपयोग करके ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दर्शन और नेतृत्व ने दुनिया भर में नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रता और न्याय के लिए आंदोलनों को प्रेरित किया।

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