
Tips and Tricks: रसोई के बर्तनों की भी एक एक्सपायरी डेट होती है। हालांकि उन पर कोई तारीख नहीं लिखी होती, लेकिन समय के साथ उनकी गुणवत्ता, सुरक्षा और उपयोगिता कम होती जाती है। अगर समय पर उन्हें न बदला जाए, तो वे आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। आइए जानें कि किन बर्तनों को कितने समय बाद बदलना चाहिए और किन संकेतों पर ध्यान देना चाहिए।
चाकू की धार कुंद हो जाती है या उसका हैंडल टूटने लगता है, जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है। छिलका उतारने वाले उपकरणों को भी हर 1-2 साल में बदलना चाहिए। कुंद धार वाली धार से सब्ज़ियाँ काटना मुश्किल हो जाता है और चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
स्पंज और स्क्रबर जल्दी गंदे हो जाते हैं और उनमें बैक्टीरिया और फंगस पनप सकते हैं। अगर उनमें से बदबू आने लगे या दाग लग जाएँ, तो उन्हें बदल दें। केवल साफ़ स्पंज और स्क्रबर ही आपकी रसोई और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं।
अगर किसी बर्तन का निचला हिस्सा टेढ़ा हो जाए या खाना ठीक से न पक रहा हो, तो उसे बदल दें। ज़्यादा इस्तेमाल किया गया एल्युमीनियम शरीर में जमा हो सकता है और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
अगर इनके किनारे गल जाएं या फट जाएं, तो इन्हें बदल देना चाहिए। टूटे हुए हिस्से खाने में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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कुकर को हर 5-8 साल में और गैस्केट को हर साल बदलना चाहिए। सीटी या वाल्व में समस्या होने पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
रसोई के बर्तनों को साफ रखें, उनकी नियमित रूप से जाँच करें और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें बदल दें। नॉन-स्टिक और एल्युमीनियम के बर्तनों पर विशेष ध्यान दें।
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