अपशगुन या अंधविश्वास, थाली में क्यों नहीं परोसते 3 रोटी?

भारतीय संस्कृति में भोजन को लेकर कई मान्यताएं हैं, उन्हीं में से एक है थाली में 3 रोटी न परोसना। इसे अशुभ माना जाता है और इसके पीछे धार्मिक और सामाजिक कारण बताए जाते हैं। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट।

Chanchal Thakur | Published : Sep 20, 2024 9:57 AM IST / Updated: Sep 20 2024, 03:28 PM IST

हिंदू धर्म में ऐसी कई सारी मान्यताएं र बातें, जिसे आज भी बहुत से लोग मानते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथ और शास्त्रों में भी इन सभी बातों के बारे में बताया गया है। पुराणों को पढ़कर या फिर कथाओं में सुनकर लोग इन धार्मिक नियमों को अपने रोज मर्रा की जिंदगी में अपनाते हैं। इन्हीं में से एक मान्यता है, थाली में तीन रोटी, पुड़ी या किसी भी चीज को तीन की संख्या में न परोसना। "भोजन परोसते वक्त तीन रोटी न देने" की परंपरा कई भारतीय समाजों में देखने को मिलती है और इसके पीछे कई तरह की सांस्कृतिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते हैं। इसके बारे में आज के इस लेख में हम हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से जानेंगे।

थाली में तीन रोटी न परोसने के कारण

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1. अशुभ संख्या का प्रतीक है 3

भारतीय संस्कृति में कुछ विशेष संख्याओं के प्रति धार्मिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। तीन रोटी देना वास्तु शास्त्र के अनुसार अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह संख्या मृत्यु से जुड़ी होती है। हिंदू रीति-रिवाजों में अंतिम संस्कार और श्राद्ध के समय तीन चीज़ों का विशेष रूप से उपयोग होता है, जैसे कि श्राद्ध के समय तीन पिंडदान किया जाता है। इसी कारण, भोजन परोसते वक्त तीन रोटी देने से बचा जाता है क्योंकि इसे मृत्यु या अशुभ घटनाओं से जोड़ा जाता है। आपको तीन रोटी परोसना है, तो आप खाने वाले व्यक्ति को पहले दो रोट परोसे फिर खत्म होने पर 1 रोटी और परोस सकते हैं।

2. अर्ध संख्या (Odd Number) है 3

भारतीय संस्कृति में सम (even) संख्या को शुभ माना जाता है, और वहीं अर्ध (odd) संख्या को कुछ मामलों में अशुभ माना गया है। भोजन करते वक्त सम संख्या की चीज़ें, जैसे 2 या 4 रोटी देना, शुभ और संतुलित माना जाता है। तीन, पाँच, सात जैसी अर्ध संख्याओं को नियमित भोजन में उपयोग करना कई बार टाला जाता है, खासकर महत्वपूर्ण अवसरों पर।

3. सामाजिक परंपराएँ

भोजन परोसने की परंपराओं का संबंध कई बार सामाजिक धारणाओं से भी होता है। परिवारों में भोजन को समृद्धि और संतुलन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस संदर्भ में, तीन रोटी देना कई बार पारिवारिक या सामुदायिक परंपराओं के खिलाफ माना गया है। समाज में ऐसा भी विश्वास होता है कि तीन रोटी देने से घरेलू समृद्धि में बाधा आ सकती है या अनचाहे परिणाम आ सकते हैं।

4. मृत व्यक्ति से संबंधित है तीन रोटियां

भारतीय संस्कृति के अनुसार तीन रोटी को मृत व्यक्ति का भोजन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि 3 रोटी किसी भी मृतक के नाम के भोजन की थाली में डाली जाती है। इसके अलवा पितृ पक्ष में जब पितरों के नाम की थाली लगाई जाती है, तब भी थाली में तीन रोटी परोसी जाती है। इसलिए भी 3 रोटी परोसने को अशुभ माना जाता है।

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5. धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ

हिंदू धर्म में कई परंपराएँ धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होती हैं और भोजन से जुड़ी मान्यताएँ भी इसमें शामिल हैं। भोजन को देवी-देवताओं का प्रसाद मानकर दिया जाता है, और इसे देने के नियम होते हैं। इन नियमों के अनुसार, कई बार तीन रोटी देना उचित नहीं माना जाता, क्योंकि यह धार्मिक अनुशासन के खिलाफ हो सकता है।

6. व्यक्तिगत और पारिवारिक परंपराएँ

हर परिवार और समुदाय की अपनी विशेष परंपराएँ होती हैं। कुछ परिवारों में यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है कि भोजन के समय तीन रोटी नहीं परोसी जाती। इसका कोई ठोस धार्मिक या सामाजिक कारण नहीं हो सकता, लेकिन यह पारिवारिक मान्यता का हिस्सा हो सकता है।

7.आयुर्वेद और संतुलन

भारतीय आयुर्वेदिक परंपराओं में भोजन का संतुलन और मात्रा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भोजन को इस तरीके से परोसा जाता है कि व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए संतुलित आहार दिया जा सके। तीन रोटी का परोसा जाना कई बार इस संतुलन में बाधा डाल सकता है, और इसीलिए इसे टाला जाता है।

8. पारंपरिक आस्था और अंधविश्वास

अंधविश्वास भी इस प्रथा का एक बड़ा कारण हो सकता है। कई लोग तीन रोटी को अशुभ मानते हैं और इसे नकारात्मकता से जोड़ते हैं। इसलिए इस परंपरा का पालन अंधविश्वास के आधार पर भी किया जा सकता है।

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