World Braille Day 2024: लुइस ब्रेल के ब्लाइंड होने और ब्रेल लिपि को जन्म देने तक की जानें इतिहास

पब्रेल लिपि को जन्म देने वाले लुइस ब्रेल का जन्म 1809 में हुआ था। एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं माना और ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया।

Nitu Kumari | Published : Jan 3, 2024 2:08 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. लुइस ब्रेल एक फ्रांसीसी शिक्षक और आविष्कारक थे। उन्हें ब्रेल लिपि विकसित करने के लिए जाना जाता है। इस लिपि के जरिए नेत्रहीन व्यक्ति, दृष्टिहीन या आंशिक रूप से ब्लाइंड लोग पढ़ सकते हैं। ये उनके लिए वरदान से कम नहीं हैं। लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रांस के कूपव्रे में हुआ था। उनके सम्मान में 4 जनवरी को वर्ल्ड ब्रेल दिवस (World Braille Day 2024) मनाया जाता है। आइए जानते हैं लुइस ब्रेल के बारे में और भी बहुत कुछ।

लुइस ब्रेल की ऐसे गई आंखों की रोशनी

Latest Videos

लुइस ब्रेल के पिता की घोड़े की काठी की दुकान थी। ब्रेल चार-भाई बहन थे, जिसमें वो सबसे छोटे थे। लुइस 3 साल के जब थे तब वो दुकान में खेल रहे थे। उसी दौरान उन्होंने लेदर के टुकड़े में नुकीले औजार से छेद करने की कोशिश करने लगे। लेकिन बदकिस्मती देखिए औजार उनके हाथ से फिसलकर उनकी आंख में जा लगा। जिसकी वजह से आंख में गंभीर चोट आई। धीरे-धीरे उनके आंख में इंफेक्शन हो गया और दूसरी आंख को भी चपेटे में ले लिया। जिसकी वजह से उनके आंखों की रोशनी जाने लगी। लुइस जब पांच साल के हुए तो उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा चुकी थी। लेकिन कहते हैं ना कि हिम्मत और जज्बा जब कुछ कर गुजरने की हो तो उसे कोई नहीं रोक सकता है।

आंखों की रोशनी के बिना पढ़ने की ठानी

अपनी दृष्टिबाधितता के बावजूद, ब्रेल ने पढ़ने और लिखने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने पेरिस में रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ में भाग लिया, जहां वे सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली उभरे हुए बिंदुओं की प्रणाली से परिचित हुए, जिसे "नाइट राइटिंग" कहा जाता है। चार्ल्स बार्बियर द्वारा बनाई गई यह प्रणाली नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए व्यावहारिक नहीं थी क्योंकि यह बहुत जटिल थी।

बार्बियर की प्रणाली को सरल बनाया

बार्बियर की प्रणाली से प्रेरित होकर लुई ब्रेल ने इसे सरल बनाया और इसे उस रूप में बदला जिसे हम ब्रेल लिपि के रूप में जानते हैं। उन्होंने कोशिकाओं में व्यवस्थित उभरे हुए बिंदुओं की एक प्रणाली बनाई, प्रत्येक कोशिका में छह बिंदु थे। बिंदुओं को तीन-तीन बिंदुओं वाले दो स्तंभों में व्यवस्थित किया गया है। यह सरल और कुशल प्रणाली उपयोगकर्ताओं को स्पर्श के माध्यम से अक्षरों, संख्याओं, विराम चिह्नों और संगीत संकेतन को पहचानने और अलग करने की अनुमति देती है।

लुई ब्रेल का ब्रेल प्रणाली का आविष्कार पहली बार 1829 में प्रकाशित हुआ था जब वह सिर्फ 20 साल के थे। इसे अपनाने के शुरुआती विरोध के बावजूद, ब्रेल लिपी को धीरे-धीरे लोग अपनाने लगें। नेत्रहीन लोगों के लिए स्पर्श संबंधी पढ़ने और लिखने का जरिया बन गया।

और पढ़ें:

कोरोना हो या इन्फ्लूएंजा सभी प्रकार के संक्रमण को दूर करता है यह इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा, नोट कर लें रेसिपी

Share this article
click me!

Latest Videos

क्या IND-PAK बीच फिर खेले जाएंगे क्रिकेट मैच? पाकिस्तान में जयशंकर से क्या हुई बात? । SCO Summit
6 बदलाव घटा देंगे Breast Cancer का खतरा #Shorts
करवाचौथ पर बन रहा 5 राजयोग, 5 राशियों की महिलाओं के लिए होगा लकी । Karwa Chauth 2024
हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी सरकार, 13 मंत्रियों ने ली शपथ, दलित-जाट और OBC सब खुश
दिवाली से पहले 24 Oct. को गुरु पुष्य योग, जानें खरीददारी के सबसे शुभ मुहूर्त