मॉर्डन टाइम में बच्चों के परवरिश और परवरिश करने के तरीके में बहुत कुछ बदला है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के आने से लोग अपने पैरेंटिंग के तरीके में बहुत कुछ बदला है। कई पैरेंट्स आजकल बच्चों की परवरिश में कई बड़ी गलती अनजाने में कर देते हैं। इन गलतियों से बचने के लिए माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद और समझदारी से पेश आना चाहिए। उन्हें एक सुरक्षित, प्यार भरा और स्थिर वातावरण देना आवश्यक है, ताकि बच्चे स्वस्थ और सकारात्मक तरीके से बढ़ सकें। इस लिए आज हम आपको चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट श्वेता गांधी द्वारा बताएं उन पैरेंटिंग मिस्टेक्स के बारे में बताएंगे, जिसे आपको करने से बचना चाहिए।
बच्चों को हमेशा दूसरों से तुलना करना उनके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को कम कर सकता है। यदि एक बच्चा अपने साथियों से तुलना महसूस करता है, तो उसे खुद में हीनता का अहसास हो सकता है, और वह अपनी क्षमताओं पर विश्वास खो सकता है। बच्चों को अपनी अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं और क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि दूसरों से मुकाबला करने के लिए।
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अगर पैरेंट्स अपने करियर या सोशल मीडिया में इतने व्यस्त रहते हैं कि वे बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते, तो बच्चों को अकेलापन और असुरक्षा का अहसास हो सकता है। बच्चों को ध्यान और प्यार देने से उनका भावनात्मक विकास होता है। बच्चों को विश्वास और समर्थन का एहसास कराना उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
जब पैरेंट्स किसी व्यवहार के लिए बच्चों को मना करते हैं, लेकिन बाद में वही चीज स्वीकार कर लेते हैं, तो बच्चों को अनुशासन का कोई स्पष्ट विचार नहीं मिलता। यह उन्हें यह सिखाता है कि नियमों में कोई स्थिरता नहीं है, और वे अपनी इच्छाओं के अनुसार व्यवहार कर सकते हैं।
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