
रिश्ते बनाना आसान है, लेकिन उन्हें चलाना और निभाना एक कला है। इस कला की सबसे मजबूत नींव Communication (कम्युनिकेशन) होती है। कई बार हम सोचते हैं कि प्यार काफी है, लेकिन सच तो ये है कि बिना खुलकर बात किए प्यार भी धीरे-धीरे दम तोड़ देता है। चाहे रिश्ता नया हो या सालों पुराना, एक-दूसरे से खुलकर बात करना ही उसे गहराई और भरोसे से भर देता है।
हर रिश्ते में दो लोग होते हैं दो सोच, दो आदतें और दो नजरिए। कम्युनिकेशन ही वो पुल है जो इन दोनों के बीच समझदारी का रास्ता बनाता है। जब आप अपने पार्टनर से खुलकर बात करते हैं, तो गलतफहमियां जगह नहीं बना पातीं। कई झगड़े ऐसे ही खत्म हो जाते हैं जब दोनों एक-दूसरे की बात सुनना सीख लेते हैं।
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अक्सर हम सिर्फ अपनी बात कहने में इतने बिजी हो जाते हैं कि सामने वाले को सुनना भूल जाते हैं। जबकि सुनना ही सच्चे कम्युनिकेशन की पहचान है। जब आप अपने पार्टनर की बात ध्यान से सुनते हैं, तो उसे ये एहसास होता है कि उसकी भावनाओं की कीमत है। झगड़े के वक्त जवाब देने से पहले 10 सेकंड रुकें और सोचें क्या मैंने वाकई उसकी बात पूरी सुनी है?
कम्युनिकेशन सिर्फ बातें करने का नहीं, बल्कि दिल खोलने का जरिया है। जब आप अपने डर, परेशानियां या सपने पार्टनर से शेयर करते हैं, तो रिश्ता और गहरा हो जाता है। यह ओपननेस ही वह धागा है जो रिश्ते को टूटने से बचाता है। क्योंकि जहां बातें छिपती हैं, वहीं से गलतफहमियां पनपती हैं।
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सबसे बड़ी गलती जो जोड़े करते हैं वह साइलेंट ट्रीटमेंट देना है। बात ही नहीं करनी वाला एटीट्यूड रिश्ते को धीरे-धीरे अंदर से तोड़ देता है। अगर आप गुस्से में हैं, तो भी बस इतना कहें — मुझे थोड़ा वक्त दो, फिर बात करेंगे। इससे पार्टनर को पता रहेगा कि रिश्ता अभी भी कम्युनिकेशन के दरवाजे पर खुला है।
कम्युनिकेशन का मतलब सिर्फ बड़ी बातें या इमोशनल टॉक नहीं है। आज तुम्हारा दिन कैसा गया?, तुमने खाना खाया? ऐसे छोटे-छोटे सवाल रिश्ता जिंदा रखते हैं। ये बातें बताती हैं कि आप अपने पार्टनर की दैनिक जिंदगी में भी शामिल हैं। कभी-कभी एक नजर, एक स्पर्श, या एक मुस्कान भी शब्दों से ज्यादा बोल जाते हैं। जब आप सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज समझने लगते हैं, तो रिश्ता गहराई पकड़ता है। क्योंकि इमोशन तब जुड़ते हैं जब शब्दों से आगे बढ़ा जाए।