पूरी दुनिया भर में 1 जून को पैरेंट्स डे मनाया जाता है। माता-पिता जो संतान को इस दुनिया में लेकर आते हैं और उन्हें अच्छी परवरिश देते हैं। उनकी अहमियत बताने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इसका इतिहास और अहमियत।
रिलेशनशिप डेस्क.माता-पिता अपनी संतान के लिए एक मजबूत दीवार की तरह होते हैं जिससे भेद कर ना तो दुख और ना ही तकलीफ उनतक पहुंच पाती है। बच्चों पर वो किसी तरह का संकट नहीं आने देते है। लेकिन कई बार बच्चे पैरेंट्स की कुर्बानियों को भूला देते हैं। उनकी सलाह को इग्नोर कर देते हैं। माता-पिता के समर्पण , प्रेम और बलिदान का सम्मान करने के लिए उनकी सराहना करने के लिए 1 जून का दिन चुना गया है। इस दिन पूरी दुनिया में पैरेंट्स को स्पेशल फिल कराया जाता है। आइए ग्लोबल पैरेंट्स डे (Global Day of Parents 2023 ) के इतिहास के बारे में जानते हैं।
Global Day of Parents History
ग्लोबल पैरेंट्स डे मनाने की शुरुआत 1983 में हुई जब आर्थिक और सामाजिक परिषद और सामाजिक विकास आयोग ने फैमिली से जुड़े मुद्दों को अहमियत देने के लिए महासचिव को बुलाया। इसके बाद 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1994 को इंटरनेशल फैमिली डे मनाने की घोषणा की। साल 2012 में 1 जून को आधिकारिक तौर पर महासभा ने इसे ग्लोबल पैरेंट्स डे मनाने की घोषणा की। साल 2013 से दुनिया भर में माता-पिता की भूमिका को पहचानने उन्हें सम्मानित करने के लिए ये दिन एक मील का पत्थर साबित हुआ।
समाज में पैरेंट्स निभाते हैं अहम भूमिका
एक समाज में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। बच्चों की परवरिश और समाज को आकार देने में माता-पिता का रोल बहुत ज्यादा होता है। यह दिन फैमिली की जरूरत को बताता है। अगली पीढ़ी के पोषण में माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्व पर जोर देता है। इतना नहीं नहीं यह दिन दुनिया भर में माता -पिता के प्यार, बलिदान और समर्पण को उजागर करता है । उनकी जिम्मेदारियों की गहरी समझ और प्रशंसा को बढ़ावा देता है। पैरेंट्स डे मनाने के पीछे का मकसद फैमिली के लिए जागरुकता, समर्थन और सकारात्मक परिवर्तन पैदा करना है। ताकि दुनिया के कल्याण का रास्ता हर घर से निकलें।
बच्चों और माता-पिता के बीच बना रहे कनेक्शन
आज के दौर में जिस तरह बच्चे बड़े होने पर माता-पिता से दूर होते जा रहे हैं। उसे देखने की जरूरत है। दोनों के बीच कम्यूनिकेशन गैप बड़ी वजह बनती जा रही है। ऐसे में माता-पिता को बचपन से ही बच्चों को सही गलत का फर्क बिना शर्म के बताना चाहिए। उनके अंदर एक अच्छे इंसान बनने का गुण विकसित करना जरूरी है। उनके साथ वक्त गुजारना चाहिए। तभी वो ना सिर्फ बड़े होने पर पैरेंट्स को सम्मान देंगे। बल्कि समाज के कल्याण के लिए भी काम करेंगे।
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