
छठ पूजा सिर्फ बिहार, झारखंड या उत्तर प्रदेश का त्योहार नहीं रहा- ये एक ऐसी आस्था है जो भारत के अलावा अपनी सीमाओं से परे जाकर पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराती है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आने पर, भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बसे प्रवासी भारतीय भी गंगा की तरह किसी नदी, झील या समुद्र किनारे निर्जल व्रत रखकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। सैकड़ों मील दूर विदेशी धरती पर भी लोग मिट्टी के घाट बनाते हैं, ठेकुआ और कद्दू-भात का प्रसाद तैयार करते हैं और “छठ मईया के जयकारे” लगाकर आसपास के वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।
आज दुनिया के कई देशों में भारतीय प्रवासी समुदाय ने छठ पूजा को अपनी सांस्कृतिक पहचान बना लिया है। नेपाल में तो ये पर्व सदियों से मनाया जा रहा है, क्योंकि यह भारत से सांस्कृतिक रूप से गहराई से जुड़ा हुआ है। वहीं मॉरीशस त्रिनिदाद और टोबैगो में यह पर्व भारतीय मूल के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहां लोग समुद्र और नदी कीनारे, या फिर आर्टिफिशियल तालाबों पर पूजा कर अर्घ्य देते हैं, पारंपरिक गीतों और ढोलक की थाप से पूरा माहौल छठ के रंग में रंग जाता है।
फिजी, सूरीनाम और गुयाना जैसे देशों में बसे भारतीय मूल के परिवारों ने भी छठ को अपनी धार्मिक विरासत के रूप में जिंदा रखा है। इन देशों में मंदिरों और कम्युनिटी हॉल्स के बाहर छठ पूजा का खास आयोजन होता है। व्रत रखने वाले परिवार मिलकर अर्घ्य देते हैं और छठ व्रतियों को सम्मानित करते हैं।
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अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पिछले कुछ सालों में छठ का विस्तार तेजी से हुआ है। प्रवासी भारतीय नदियों, लेक्स और यहां तक कि स्विमिंग पूल के पास आर्टिफिशियल घाट बनाते हैं। अमेरिका के न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क में छठ पूजा अब बड़े सामुदायिक आयोजन के रूप में उभर चुकी है। वहीं लंदन के थेम्स नदी और दुबई के बीच किनारे पर भी सूर्य को अर्घ्य देने का नजारा छठ पर देखने लायक होता है।
नहीं, ज्यादातर देशों में छुट्टी नहीं होती, लेकिन प्रवासी समुदाय स्कूल, कॉलेज और ऑफिस से छुट्टी ले सकते हैं, ताकि वे पूजन में शामिल हो सकें।
जहां नदी या झील उपलब्ध होती है, वहां आर्टिफिशियस घाट बनाए जाते हैं। नहीं तो पार्क, पूल या आर्टिफिशियल वाटर टैंक का उपयोग किया जाता है। मिट्टी, बांस और केले के पत्तों से पारंपरिक सजावट की जाती है।
ठेकुआ, चावल-चना दाल, कद्दू-भात और मौसमी फल जैसे केला, नारियल, शक्करकंद आदि छठ प्रसाद के रूप में विदेशों में भी बनाए जाते हैं।
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