20 रुपए की चोरी: 41 साल बाद फरियादी ने कोर्ट में जोड़ लिए हाथ-'मैं आरोपी को नहीं पहचानता'

मामला वर्ष 1978 का है। ग्वालियर में इस्माइल खान ने बस के टिकट की लाइन में लगे बाबूलाल की जेब से 20 रुपए निकाल लिए थे। अब कहीं जाकर फरियादी ने ही आरोपी को पहचानने से इनकार कर दिया।

ग्वालियर. कभी-कभी न्याय पाने लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। वहीं कभी-कभी बेमतलब लंबा मुकदमा चलता है। ग्वालियर में 20 रुपए की चोरी का एक ऐसा ही मामला एक-दो नहीं, पूरे 41 साल चला। 1978 में माधोगंज क्षेत्र में इस्माइल खान ने बाबूलाल की जेब से 20 रुपए निकाल लिए थे। बाबूलाल उस वक्त बस का टिकट लेने लाइन में खड़े थे। बाबूलाल ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी।
 
पुलिस ने जांच के बाद इस्माइल खान के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया। लेकिन इस्माइल ने कोर्ट में हाजिरी नहीं दी। लिहाजा 2004 में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। पुलिस ने 15 साल बाद इस्माइल खान को ढूंढ निकाला और उसे जेल भेज दिया। इस्माइल को 4 महीने जेल में गुजारने पड़े।
 
न्यायालयीन अधिकारी के अनुसार, जब यह मामला शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचा, तो प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल कुमार नामदेव की सलाह पर मामले को खत्म कर दिया गया। न्यायालय ने बाबूलाल को समझाइश दी कि आरोपी चार महीने जेल में गुजार चुका है। अब केस को चलाने का कोई  मतलब नहीं है। सुनवाई के दौरान फरियादी बाबूलाल (64) ने ने भी मामला खत्म करने की निवेदन किया। उसने आरोपी को पहचानने से मना कर दिया। आखिरकार दोनों की सहमति से केस खत्म कर दिया गया।

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