
भोपाल. महाराष्ट्र में शनिवार सुबह राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया। अचानक बदले घटनाक्रम के बीच देवेंद्र फडणवीस ने दुबारा सीएम पद की शपथ ले ली। राजनीति में आए इस बदलाव से अब कांग्रेस में भी घबराहट का माहौल पैदा हो गया है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान विधायकों की तोड़फोड़ से बचने उन्हें अब जयपुर भेज रहा है। पहले भोपाल भेजे जाने की खबर आई थी। बताया जाता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इन विधायकों को संरक्षण देने की जिम्मेदारी दी गई है। अशोक गहलोत कांग्रेस के पुराने धाकड़ हैं। वे राजनीति के सारे दांव-पेंच अच्छे से जानते हैं।
यह है गणित
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली। एनसीपी नेता अजित पवार डिप्टी सीएम हैं। अब सबके जहन में एक ही सवाल है कि आखिर अजित पवार के पास विधायकों की इतनी संख्या है कि उनके समर्थन के साथ भाजपा सरकार बना सके 30 नवंबर तक बहुमत साबित करना है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44, एनसीपी को 54, मनसे को 1 और अन्य के खाते में 28 सीट आई।
भाजपा नेता ने कहा, एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन
महाराष्ट्र में सरकार गठन पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुधीर मुंगटीवार ने दावा किया कि उन्हें एनसीपी के सभी 54 विधायकों को समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि अजित पवार ने एनसीपी के सभी 54 विधायकों की हस्ताक्षर की हुई चिट्ठी सौंपी है। वो उनके नेता हैं। सुधीर मुंगटीवार ने कहा कि दोनों दलों को मिलाकर हमारे पास कुल 159 विधायकों की संख्या है।
36 विधायकों के साथ पार्टी तोड़ सकते हैं अजित पवार
अजित पवार भाजपा के समर्थन में जा रहे हैं तो उन्हें एनसीपी के 36 विधायकों का साथ चाहिए। क्योंकि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार पार्टी को तोड़ने के लिये दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है।
पवार ने कहा, एनसीपी अजित पवार के साथ नहीं
शपथ ग्रहण और अजित पवार के समर्थन पर एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, अजित पवार कुछ विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे, हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अजित का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है और अनुशासनहीनता को बताता है। हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। हमें पता चला है कि 10-12 विधायक उनके पास हैं। एनसीपी अजित पवार के साथ नहीं है।
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