मध्य प्रदेश में कोर्ट का बड़ा फैसला, 28 शिकारियों को सुनाई गई सजा, 7 साल पहले किया था बाघ का शिकार

मध्य प्रदेश की एक कोर्ट ने बाघ के शिकार के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 7 साल पहले दर्ज हुए इस मामले में 28 शिकारियों को दोषी मानते हुए उन्हें 5 साल की जेल और 10 हजार रूपए जुर्माना की सजा सुनाई है। इस मामले में अभी भी 8 आरोपी फरार चल रहे हैं। 

Ujjwal Singh | Published : Dec 21, 2022 6:40 AM IST / Updated: Dec 21 2022, 12:11 PM IST

नर्मदापुरम(Madhya Pradesh). मध्य प्रदेश की एक कोर्ट ने बाघ के शिकार के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 7 साल पहले दर्ज हुए इस मामले में 28 शिकारियों को दोषी मानते हुए उन्हें 5 साल की जेल और 10 हजार रूपए जुर्माना की सजा सुनाई है। इस मामले में अभी भी 8 आरोपी फरार चल रहे हैं। फरार लोगों में एक अन्तर्राष्ट्रीय शिकारी जे तमांग भी शामिल है। एक साथ शिकार के मामले में 28 दोषियों को सजा वाला ये मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।  

बता दें कि नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ के शिकार के एक मामले में कोर्ट ने 28 शिकारियों को सजा सुनाई है। सीजेएम कोर्ट ने 28 शिकारियों को 5 साल की जेल और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र कामती-चूरना के सरकारी जंगल कोर इलाके में साल 2015 में बाघ का शिकार किया गया था। इसमें बाघ के अलावा वन्य प्राणि पैंगोलिन के शिकार की बात भी सामने आई थी। इस पर सीजेएम कोर्ट में मामला चल रहा था। इसमें इंटरनेशनल शिकारी जे तमांग भी शामिल है। कोर्ट ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने 28 दोषियों को सजा सुनायी है। लेकिन जे तमांग समेत 8 शिकारी अभी भी फरार चल रहे हैं।

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7 साल पहले दर्ज हुई था शिकार का ये मामला 
जानकारी के मुताबिक शिकार का ये मामला तकरीबन 7 साल पहले का है। 13 जुलाई साल 2015 में महावत मनीराम और गन्नू लाल गश्त पर निकले थे। इस दौरान उन्होंने 8-10 लोगों को कामति के जंगल में अवैध प्रवेश करते देखा। इसकी सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को दी थी। अधिकारियों ने आरोपियों का पीछा किया पर वे जंगल में भाग गए। घटनास्थल की तलाशी लेने पर वहां से वन्य प्राणि पैंगोलिन की खोपड़ी, चाकू और अन्य सामग्री जब्त की गई थी। बाद में उसमें से कई आरोपी गिरफ्तार किए गए और उनके पास से बाघ की खाल भी मिली थी। उन्हीं की निशानदेही पर इस मामले में अन्य आरोपियों के नाम सामने आए थे। 

शिकार में शामिल था अन्तर्राष्ट्रीय तस्कर 
पुलिस और वन विभाग ने जब पूरे मामले की जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में सामने आया कि आरोपियों के पास से जब्त की गई खाल बाघ का अवैध शिकार कर निकाली गई थी। प्रकरण दर्ज करने के बाद मामला कोर्ट पहुंच गया था। पुलिस जांच में ये बात भी सामने आई कि आरोपियों के तार अंतर्राष्ट्रीय तस्कर जे तमांग से जुड़े हुए थे। ये लोग बाघ का शिकार कर उसकी खाल और अंगों का अवैध व्यापार करते थे। न्यायालय में मुख्य मजिस्ट्रेट रितु वर्मा कटारिया ने दोषियों को सजा सुनाई है।

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