3700 गड्ढे देख तनाव में आया डिप्टी रेंजर, क्योंकि उसको 10 हजार पौधे लगाने थे...और कर लिया सुसाइड

Published : Jul 06, 2020, 03:09 PM ISTUpdated : Jul 06, 2020, 04:09 PM IST
3700 गड्ढे देख तनाव में आया डिप्टी रेंजर, क्योंकि उसको 10 हजार पौधे लगाने थे...और कर लिया सुसाइड

सार

मध्य प्रदेश के देवास में काम की टेंशन में एक डिप्टी रेंजर ने जंगल में पेड़ पर फांसी लगा ली। उन्हें 10000 पौधारोपण की जिम्मेदारी देकर जंगल भेजा गया था। डिप्टी रेंजर जब वहां पहुंचा, तो सिर्फ 3700 गड्ढे देखकर टेंशन में आ गया। उसे अफसर ने मौखिक आदेश देकर ड्यूटी पर भेजा था। पुलिस का मृतक के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें इस बात जिक्र किया गया है।


देवास, मध्य प्रदेश. सरकारी दफ्तरों में होने वाले हवा-हवाई कामों की एक डिप्टी रेंजर भेंट चढ़ गया। उसे आधे-अधूरे काम के बावजूद 10000 पौधारोपण करने जंगल भेजा गया था। डिप्टी रेंजर जब वहां पहुंचा, तो सिर्फ 3700 गड्ढे देखकर टेंशन में आ गया। उसे अफसर ने मौखिक आदेश देकर ड्यूटी पर भेजा था। पुलिस का मृतक के पास से एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें इस बात जिक्र किया गया है। घटना देवास जिले के उदयनगर में शनिवार को हुई। 52 वर्षीय डिप्टी रेंजर लालसिंह गंगराडे के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें उल्लेख किया गया कि वे 10000 पौधे लगाने के चलते मानसिक दबाव में आ गए थे।


सब खाना खा रहे थे, डिप्टी रेंजर फांसी लगाने निकल पड़े...
पुलिस के अनुसार बारिश में वन विभाग बड़े स्तर पर पौधारोपण कराता है। इसी के तहत उदयनगर वन परिक्षेत्र के जंगल में भी यह काम कराया जा रहा है। यहां पौधारोपण के साथ फेंसिंग भी हो रही है। इस काम की जिम्मेदारी गंगराडे के पास थी। वे इसी काम की देखरेख के लिए जंगल पहुंचे थे। दोपहर में जब सब लोग खाना खा रहे थे, गंगराडे घने जंगल में चले गए। लेकिन वे नहीं लौटे। शाम को उनके घर नहीं लौटने पर बेटे और अन्य सहकर्मी सक्रिय हुए। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। इसके बाद पुलिस के साथ रेंजर हरिकरण पटेल और अन्य स्टाफ जंगल पहुंचा। रात करीब 12.30 बजे गंगराडे की बाइक दिखाई पड़ी। जब उनकी खोजबीन शुरू की, तो वहां से एक किमी दूर पेड़ पर उनका शव लटकते देखा गया।

सुसाइड नोट में यह लिखा
गंगराडे की लाश के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला। इसमें उन्होंने लिखा कि उन्हें कई बार मौखिक आदेश देकर ड्यूटी पर भेजा गया। कहा गया कि गड्ढे खोदे जा चुके हैं। लेकिन जब जंगल में देखा, तो वहां सिर्फ 3700 गड्ढे ही खोदे गए थे। इससे वे तनाव में आ गए। इसके लिए परिजनों को जिम्मेदार न ठहराया जाए। उधर, नाकेदार राहुल बोडाना ने बताया कि मजदूरों और पैसों की कमी के कारण गड्ढों का काम पूरा नहीं हो पाया था।

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