अगर सरकार ही अपनी जुबान से फिर जाए, तो फिर गरीब जनता किसके आगे मदद के लिए हाथ फैलाए? इस बच्चे के इलाज के लिए मप्र के स्वास्थ्य मंत्री आगे आए थे, लेकिन बात आई गई हो गई। जानिए पूरा मामला..
भोपाल, मध्य प्रदेश. यह है 5 साल का ओम विश्वकर्मा। इस मासूम बच्चे की दोनों आंखें वेस्कुलर ट्यूमर के कारण फूलकर बाहर निकल आई हैं। कुछ महीने पहले तक बड़े प्यारे दिखने वाले इस बच्चे को अब आप अपनी आंखों से देख नहीं पाएंगे। आप डर जाएंगे। हालांकि इसके बाद आपनी आंखें भर आएंगी। बच्चे की हालत देखकर आपको दया आएगी। बिस्तर पर लेटे बच्चे को तो यह भी नहीं मालूम कि उसे हुआ क्या है? वो अब क्यों नहीं देख पा रहा...? पर वो अकसर पूछता है, पापा मुझे क्या हुआ है?
मंत्रीजी वादा भूले...
इस बच्चे के इलाज पर करीब 25 लाख रुपए का खर्च आएगा। पिता एक फैक्ट्री में 6 हजार रुपए महीने की नौकरी करते हैं। चांदबड़ में एक झुग्गी में रहने वाला यह परिवार बच्चे के इलाज पर अपनी सारी जमां-पूंजी लगा चुका है। 25 जनवरी को यह परिवार एक आस लेकर मप्र के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट से मिला। बच्चे की हालत देखकर मंत्रीजी भी भावुक हो उठे। उन्होंने वादा किया कि बच्चे का इलाज सरकार कराएगी, लेकिन बात आई गई हो गई। अब पिछले एक महीने से बच्चे का पिता विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, ताकि बच्चे को बचाया जा सका।
भगवान निकले निष्ठुर..
बच्चे की मां ने रूंधे गले से बताया कि अब उससे अपने बच्चे की हालत देखी नहीं जाती। स्वास्थ्य मंत्री के वादे के बाद वे लोग बच्चे को लेकर हमीदिया हॉस्पिटल गए थे। वहां डॉक्टरों ने कोई तवज्जो नहीं दी। तीन दिन बच्चे को भर्ती रखा और फिर छुट्टी कर दी। बताते हैं कि बच्चा अब कभी देख नहीं पाएगा। मां-बाप को अब बस उसकी जान बचाने की उम्मीद है। हालांकि 7 फरवरी को मंत्री फिर बोले कि बच्चे के इलाज अवश्य कराया जाएगा। जरूरत पड़ी, तो उसे बाहर इलाज के लिए भेजा जाएगा।
खेलते-खेलते बाहर निकल आईं आंखें
21 दिसंबर की रात खेलते-खेलते अचानक उसकी बाईं आंख बाहर निकल आई थी। परिवार के सभी लोग बेटे की हालत देख घबरा गए। जब वह सुबह एक निजी डॉक्टर के पास लेकर गए, तो उनको एक आई ड्राप दे दिया गया। लेकिन हालत बिगड़ती चली गई और उसकी दोनों आंखे बाहर आ गईं। इसके बाद वो बच्चे को हमीदिया अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने कहा-आपके बेटे को वेस्कुलर ट्यूमर है।
25 लाख रुपए आ रहा इलाज का खर्च
हमीदिया अस्पातल के नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. कविता कुमार ने पीड़ित परिवार को कहा की आपके बेटे का इलाज यहां संभव नहीं है। हमको जो करना था वह हमने किया, लेकिन इसका आगे का इलाज यहां नहीं हो सकता है। इसलिए हम उसे एम्स दिल्ली के लिए रेफर कर रहे हैं। बच्चे के पिता मुकेश उसको लेकर दिल्ली गए तो पता चला कि इलाज में 25 लाख रुपए खर्च आएगा। हालांकि परिवार आयुष्मान भारत योजना का हितग्राही है। लेकिन इसमें तो सिर्फ 5 लाख रुपए तका ट्रीटमेंट हो सकता है। अब बाकी के बचे हुए पैसे कहां से आएंगे।
6 हजार रुपए माह कमाता है पिता
दिल्ली से लौटने के बाद ओम की मां सुनीता आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री निवास से लेकर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के कार्यालय गई। तो अधिकारियों ने बताया कि पहले आप दिल्ली एम्स से इलाज का एस्टीमेट बनाकर ले आओ, फिर हम कुछ करते हैं। लेकिन समस्या यह है कि मुकेश कुशवाह मंडीदीप की फैक्ट्री में 6 हजार रुपए के महीने की नौकरी करता है। उसके पास अब इतने रुपए भी नहीं कि वह फिर दे दिल्ली जा सके। महिला ने अब इसके लिए बाल कल्याण समिति में गुहार लगाई है।