मध्य प्रदेश में एक शिक्षका द्वारा ऐसा काम किया गया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। शिक्षका हनुमान जी की भक्ति में इस कदर समायी कि उसने अपनी समस्त चल-अचल संपत्ति हनुमान मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिया।
श्योपुर(Madhya Pradesh). मध्य प्रदेश में एक शिक्षका द्वारा ऐसा काम किया गया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। शिक्षका हनुमान जी की भक्ति में इस कदर समायी कि उसने अपनी समस्त चल-अचल संपत्ति हनुमान मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिया। 57 साल की दानवीर महिला शिक्षिका शिवकुमारी जादौन अपनी जीवन की मेहनत की कमाई से जुड़ी लगभग एक करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति की वसीयत विजयपुर के प्राचीन सिद्ध छिमछिमा हनुमान मंदिर के नाम कर दी है।
जानकारी के मुताबिक़ महिला शिक्षका शिवकुमारी जादौन बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की हैं। विजयपुर के प्राचीन सिद्ध छिमछिमा हनुमान मंदिर में शिवकुमारी की अटूट आस्था है। जिसको लेकर शिवकुमारी ने अपनी पूरी संम्पति का मालिक इस प्राचीन हनुमान मंदिर को बनाते हुए अपनी वसीयत में अपने मरने के बाद अपना बैंक डिपॉजिट, बीमा पॉलिसी से मिलने वाली रकम, बैंक लॉकर में रखे हुए सोने-चांदी के जेवरात छिमछिमा के हनुमान मंदिर ट्रस्ट को सोंपे जाने की बात भी लिखी है। और तो और शिवकुमारी ने अपने मरने के बाद घर भी हनुमान मंदिर ट्रस्ट को दिए जाने का ऐलान किया है। शिवकुमारी जादौन ने बाकायदा एक आवेदन के साथ अपनी लिखित वसीयत मंदिर के ट्रस्टी के तौर पर अध्यक्ष विजयपुर के SDM नीरज शर्मा को सौंप दिया है।
बेटों को दी उनके हक़ की संपत्ति
गौरतलब है किशिवकुमारी शादीशुदा हैं और परिवार में उनके दो बेटे हैं। शिवकुमारी जादौन ने बताया कि ये उनकी खुद की बनाई हुई संपत्ति है। उन्होंने किसी के साथ नाइंसाफी नहीं की है। यही नहीं उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि संपत्ति में उनके बेटों का हक़ जो भी था वह उन्होंने बेटों को बांट कर दे दिया है। ऐसे में उन्होंने बेटों के हक़ के बाद उनके हक में आने वाली समस्त चल अचल संपत्ति हनुमान मंदिर ट्रस्ट को देने का फैसला लिया था, जिसकी वसीयत करके उन्होंने मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष SDM विजयपुर नीरज शर्मा को सौंप दिया है।
ट्रस्ट से किया मरने के बाद चिता को आग देने का आग्रह
बताया जा रहा है कि 57 वर्षीय शिक्षिका शिवकुमारी जादौन अपने पति और बेटों से नाखुश हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शिवकुमारी शुरू से ही बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की हैं जबकि उनके पति और बेटों का स्वभाव उन्हें बिलकुल पसंद नहीं। इसलिए शिवकुमारी ने दोनों बेटों को उनका हिस्सा देने के बाद अपनी समस्त संपत्ति मंदिर ट्रस्ट को दान कर दिया है। उन्होंने मंदिर ट्रस्ट से अपनी अंतिम इच्छा भी जाहिर की है। शिक्षिका ने मंदिर ट्रस्ट से उनका अंतिम संस्कार करते हुए उनकी चिता को आग देना का अनुरोध किया है।
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