सोनाली मसाने ने 8 नंवबर को भोपाल की सुल्तानिया जनाना अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था। डिलीवरी के बाद नवजात की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए उस कमला नेहरू हॉस्पिटल के एसएलसीयू में एडमिट कराया था। जबकि महिला अभी भी जनाना हॉस्पिटल में भर्ती है।
भोपाल. सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की कमला नेहरू अस्पताल (Kamala Nehru Hospital) में लगी आग ने चंद पलों में 13 माओं की गोद उजाड़ कर रख दी। इनको जिंदगीभर का ऐसा जख्म दिया है जो शायद जीवित रहते कभी नहीं भरेगा। कई मां तो ऐसी भी हैं जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को जी भर के एक नजर देखा भी नहीं था कि उसकी सांसे थम गईं। इन्हीं में एक बेबस मा हैं सोनाली मसाने जिनको अभी यही पता है कि उनका बच्चा जिंदा है। उनको लगता है कि उनकी मासूम की किलकारियां अभी गूंज रही होंगी। इसलिए तो वह कहती हैं कि जल्द ही यहां से डिस्चार्ज होकर अपने बेटे से मिलने के लिए जाऊंगी।
बेबस मां बोली- जल्द बच्चे को सीने से लगाऊंगी...
दरअसल, सोनाली मसाने ने 8 नंवबर को भोपाल की सुल्तानिया जनाना अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था। डिलीवरी के बाद नवजात की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए उस कमला नेहरू हॉस्पिटल के एसएलसीयू में एडमिट कराया था। जबकि महिला अभी भी जनाना हॉस्पिटल में भर्ती है। मीडिया से बात करते हुए पीड़िता ने कहा कि जल्द ही उसकी छुट्टी होने वाली है। जिसके बाद वह सीधे अपने बच्चे से मिलने के लिए जाएगी। उसे गोद में लेगी और जिगर के टुकड़ों को सीने से लगाएंगी। लेकिन उसे क्या पता कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहा।
पति ने अभी तक पत्नी को नहीं बताया बच्चा नहीं रहा
बता दें कि सोनाली मसाने मूल रुप से भोपाल के बागसेबनिया इलाके की रहने वाली है। उसके पति का नाम अरुण मसाने है, जिन्होंने अभी तक पत्नी को बच्चे की मौत के बारे में नहीं बताया है। उनका कहना है कि मेरी इतनी हिम्मत नहीं कि यह बता उससे कह सकूं। वहीं महिला की मौसी पूनम का कहना है कि आग लगने के बाद उनका बच्चा ठीक था। अगले दिन बताया कि तुम्हारा बच्चे की भी मौत हो गई। शव पोस्टमॉर्टम में हाउस में रखा है। लेकिन पूनम ने शव पहचानने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह शव सोनाली के बच्चे का शव नहीं है। हालांकि इसी बीच डॉक्टरों ने महिला और बच्चे का डीएनए सैंपल लिया है और जांच के लिए भेजा है।