मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रेप केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि हनी ट्रेप में नेताओं और IAS-IPS को फंसाने वालीं महिलाएं एक रैकेट की तरह काम कर रही थीं। वे अपने शिकार पर पूरी नजर रखती थीं। उनके फोन टेप किए जाते थे।
भोपाल. हनी ट्रेप मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) को चौंकाने वाले सुराग हाथ लगे हैं। जांच में सामने आया है कि ये महिलाएं अपने शिकार के फोन टेप कराती थीं। उनके चैट पर भी पैनी नजर रखी जाती थी। पुलिस की जांच में पाया गया कि आरोपी श्वेता विजय जैन ने बेंगलुरु की एक प्राइवेट कंपनी को जासूसी (सर्विलांस) का जिम्मा सौंपा था। यह कंपनी बेंगलुरु का रहने वाला संतोष नामक शख्स चलाता था। कंपनी में 5 लोगों की टीम थी। यह टीम भोपाल में भी सक्रिय पाई गई। इसमें शिखा, सोनू, अंशिका, साक्षी नामक महिलाएं जुड़ीं थीं। साक्षी का भाई भी कंपनी के लिए काम करता था। बताते हैं कि इनमें से दो लोग सायबर फॉरेंसिक के एक्सपर्ट हैं।
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उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन की शिकायत पर 18 सितंबर को पुलिस ने इन्दौर की एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र ने ने बताया कि आरती दयाल (29), मोनिका यादव (18), श्वेता जैन पति विजय जैन (39), श्वेता जैन पति स्पनिल जैन (48), और बरखा सोनी (34) को पुलिस ने अरेस्ट किया था।
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कांग्रेस सरकार बनने के बाद मप्र में सक्रिय हुई कंपनी
बेंगलुरु की यह कंपनी सर्विलांस में एक्सपर्ट रही है। मप्र में इसकी दस्तक कांग्रेस सरकार बनने के बाद हुई। इसलिए इन तथ्यों पर भी फोकस किया जा रहा है कि कहीं सही में आरोपी महिलाएं कुछ मंत्रियों और कांग्रेस के कुछ विधायकों पर डोरे डालने वाली थीं। इससे सरकार अस्थिर हो। जांच में एक बात और सामने आई है कि यह कंपनी पहले केंद्रीय एजेंसियों के लिए भी काम कर चुकी है। SIT को जांच में पता चला है कि आरोपी महिलाओं ने 22 से ज्यादा लड़कियों को अपने रैकेट में जोड़ रखा था।
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