विजय नगर थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि अभी तक उनके पास निगम की तरफ से किसी भी संगठन या व्यक्ति के खिलाफ कोई केस नहीं दर्ज कराया गया है। अगर इस तरह की कोई शिकायत आती है तो कड़ा एक्शन लेंगे।
इंदौर : देश में इन दिनों वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) को लेकर विवाद छिड़ा है। सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है। ऐसे में अब यह विवाद उत्तर-प्रदेश से मध्यप्रदेश पहुंच गया है। यहां के इंदौर (Indore) में उस वक्त बवाल मच गया, जब दो दिन पहले किसी संगठन की तरफ से एक सार्वजनिक शौचालय का नाम मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर रख दिया गया। जैसे ही यह खबर निगम अफसरों तक पहुंची, सभी के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में टॉयलेट से बोर्ड को उतारा गया। हालांकि किस संगठन की तरफ से ऐसा किया गया है, इसको लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, दो दिन पहले किसी संगठन ने शहर के कई शौचायलों पर औरंगजेब मूत्रालय के पोस्टर लगा दिए। बताया जा रहा है कि शहर की मुख्य सड़क एबी रोड पर 50 से ज्यादा लोगों ने यह पोस्टर लगा दिए। इसकी भनक न तो प्रशासन को लगी और ना ही नगर निगम को। वहीं, दूसरी तरफ सुलभ कॉम्प्लेक्स के कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने उसी वक्त नगर निगम को इसकी सूचना दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाद में निगम अफसरों ने शौचालयों से इन पोस्टरों को हटवाया।
क्या है ज्ञानवापी विवाद
ज्ञानवापी के विवाद की बात करें तो कहा जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने करवाया था। हालांकि दावा किया जाता है कि मस्जिद से पहले यहां मंदिर हुआ करता था। औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाकर उसके अवशेषों से इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मामले को लेकर साल 1991 में सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय ने प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विशेश्वर कीओर से कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद 18 अगस्त, 2021 में वाराणसी की एक कोर्ट में पांच महिलाओं ने मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूजा-अर्चना की मांग की। अदालत ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने एक कमीशन का गठन किया और श्रृंगार गौरी की मूर्ति और ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी कराकर सर्वे रिपोर्ट देने को कहा था, जिस पर हंगामा खड़ा हो गया। तभी से इस मामले में सुनवाई चल रही है।
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