कोरोना से ज्यादा खतरनाक ऐसे लोग: रेमडेसिविर की शीशी में पानी भरकर बेच रहे थे, सांसों की करते सौदेबाजी

मानवीयता को शर्मसार कर देने वाली यह घटना इंदौर के लसुडिया थाना क्षेत्र की है। जहां एक बदमाश ने कई कोरोना संक्रमितों के परिजनों को 20-20 हजार रुपए लेकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच दिए। मामले का पता लगते ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। 

भोपाल. मध्य प्रदेश कोरोना से हाहाकाच मचा हुआ है, लेकिन इसके बाद कुछ लोग मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वह अपने मुनाफे के लिए संक्रमित लोगों की सांसों के साथ सौदेबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।  इंदौर शहर में जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर चौंकाने वाली  खबर सामने आई है। जहां इंजेक्शन की खाली शीशी में ग्लूकोज का पानी भरकर ऊचों दामों में बेचा जा रहा था।  

लोगों की सांसों के साथ करता सौदेबाजी 
दरअसल, मानवीयता को शर्मसार कर देने वाली यह घटना इंदौर के लसुडिया थाना क्षेत्र की है। जहां एक बदमाश ने कई कोरोना संक्रमितों के परिजनों को 20-20 हजार रुपए लेकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच दिए। मामले का पता लगते ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही उसपर महामारी अधिनियम की धारा 3 और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।

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ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बता दें कि मामला का खुलासा उस वक्त हुआ, जब एक पिता अपने कोरोना पॉजिटिव बेटे की जिंदगी बचाने के लिए ठग से  2 रेमडेसिविर के इंजेक्शन 40 हजार में खरीदे। उसका बेटा ऑक्सीजन सपोर्ट पर जिंदा था। लेकिन इलाज करने वाले  डॉक्टरों को इंजेक्शन देखते हुए शक हुआ है और उसने लगाने से इंकार कर दिया। इसके बाद इंजेक्शन की जांच की गई तो पता चला कि शीशी के अंदर ग्लूकोज का पानी भरा हुआ था।

 कालाबाजारी करने में कई हुई गिरफ्तार
मामले की जानकारी फौरन पुलिस को दी गई। इसके बाद पुलिस ने इंजेक्शन बेचने वाले शिमला पार्क कॉलोनी में रहने वाले आरोपी उज्ज्वल पटेल को गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि इंदौर में शनिवार को कालाबाजारी करते हुए पांच और आरोपी गिरफ्तार किए हैं। बता दें कि इससे पहले इंदौर में 400 नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन के साथ भी एक दवा कंपनी का मालिक पकड़ा जा चुका है।

बेटे की सांसों के लिए पिता ने दिए 40 हजार
करीब 10 दिन पहले विशाल नामक युवक कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसका शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। शनिवार को पीड़ित के पिता गणेश राव इंजेक्शन के लिए भटक रहे थे। इसी दौरान अस्पताल के बाहर उनको आरोपी उज्जवल मिला और इंजेक्शन देने का कहा। उसने अपना मोबाइन नंबर दिया और कहने लगा कि मेरे बताए पते पर 40 हजार रुपए लेकर आ जाना। तुमको दो इंजेक्शन मिल जाएंगे। बेटे की हालत खराब देख पिता उसके बताई जगह  C-21 माल के पीछे पहुंच गया। लेकिन वह नहीं मिला, फोन पर आरोपी पूछने लगा कि आप कितने लोग साथ हो, तो पीड़ित ने बताया कि में अकेला ही हूं। आरोपी कहने लगा कि अब तुम आस्था हास्पिटल के सामने आ जाओ। पीड़िता पिता वहां पहुंचा और 40 हजार देकर दो इंजेक्शन लेकर आ गए। इसके बाद डॉक्टर इंजेक्शन खोला तो उन्हें शक हुआ, उन्होंने सील तोड़ी तो पता चला कि वह फेवीक्विक से चिपकी हुी थी। डॉट खोला तो उसमें से पानी निकला।

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