मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों के लिए हुए उपचुनाव ने साबित कर दिया कि जनता कांग्रेस सरकार से खुश नहीं थी। वहीं, यह भी तय हो गया कि जो नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए, उससे भी जनता को कोई फक नहीं पड़ा। शिवराज सरकार बची रहेगी...इसे लेकर पहले से ही कोई बड़ी आशंका नहीं थी। कमलनाथ को उम्मीद थी कि कोई चमत्कार होगा और कांग्रेस की फिर से सरकार बनेगी, लेकिन यह सिर्फ ख्याली पुलाव साबित हुआ।
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ये जीते/हारे
भोपाल, मध्य प्रदेश. विधानसभा की 28 सीटों पर 3 नवंबर को हुए उपचुनाव में पीछे होते हुए भी कांग्रेस को उम्मीद थी कि कोई चमत्कार होगा, लेकिन ऐसा नहीं दिखा। भाजपा को इस बात की चिंता थी कि भले वो सरकार बचाने में सफल रहे, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप सीटें नहीं जीतीं, तो इससे साबित हो जाएगा कि दलबदलुओं से वो खुश नहीं है। हालांकि जनता ने इस भ्रम को भी दूर कर दिया। माना जा रहा था कि भाजपा की 13 सीटों पर पकड़ मजबूत है, जबकि कांग्रेस की 10 पर। इस हिसाब से कांग्रेस खुश थी, जबकि भाजपा चिंतित। इन सबके बीच 5 ऐसी सीटें मानी गई थीं, जिन पर दोनों की टक्कर मानी जा रही थी। लेकिन रिजल्ट भाजपा के पक्ष में होते चले गए। उसने 28 में से 19 सीटें जीतीं। 2018 में हुए चुनाव में 28 में से 27 कांग्रेस के पास थीं। कमलनाथ ने अपनी हार स्वीकारते हुए कहा कि वे जनादेश को शिरोधार्य करते हैं। अब वे विपक्ष में रहकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उपचुनावों के नतीजों ने बता दिया है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गद्दार हैं। वहीं, शिवराज ने ट्वीट करके कहा कि समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाएगा। (तस्वीर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा एक-दूसरे का मुंह मीठा कराते हुए)
(जीत की खुशी में ढोल बजाते प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा,दायें प्रदेश भाजपा कार्यालय में जमा कार्यकर्ता)
यह है ग्वालियर की स्थिति
सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल संभाग में 9 सीटों पर चुनाव हुआ। इसमें जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। दतिया जिले की भांडेर विधानसभा से कांग्रेस से भाजपा में आईं रक्षा सिरोनिया के खिलाफ कांग्रेस ने फूलसिंह बरैया मैदान में उतरे। यहां से पूर्व गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध भी बसपा से खड़े हुए। पोहरी विधानसभा से सुरेश धाकड़ भाजपा से खड़े हुए। यहां से कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला को टिकट दिया था।
करैरा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया। ये बसपा से तीन बार चुनाव लड़कर हार चुके। भाजपा से जसवंत जाटव मैदान में थे। मुंगावली से कांग्रेस से भाजपा में आए ब्रजेंद्र सिंह यादव मैदान में थे। वे कांग्रेस से 2 बार विधायक रह चुके हैं। वे अपने ही सांसद डॉ. केपी यादव से परेशान रहे। बमोरी में भाजपा के प्रत्याशी महेंद्रसिंह सिसौदिया थे। वे कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के केएल अग्रवाल से रहा। विडंबना यह है कि वे सिंधिया के कहने पर कांग्रेस में आए थे। अब सिंधिया खुद भाजपा में चले गए।
ग्वालियर पूर्व से भाजपा के मुन्नालाल गोयल का मुकाबला कांग्रेस के सतीश सिकरवार से रहा। गोयल कांग्रेस से भाजपा में आए। ग्वालियर सीट से जब कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिला, तो कांग्रेस ने सुनील शर्मा को टिकट दे दिया। यहां कांग्रेस से भाजपा में आए प्रद्युम्न तोमर उम्मीदवार रहे। डबरा से भाजपा ने इमरती देवी को टिकट दिया, जो सिंधिया खेमे की हैं। कांग्रेस से सुरेश राजे प्रत्याशी रहे। दोनों रिश्तेदार हैं।
(हार के बाद इमरती देवी रो पड़ीं। दिलचस्प है कि 2 साल पहले इमरती देवी खुद सुरेश राजे को कांग्रेस में लेकर आई थीं। राजे इमरती के समधी भी लगते हैं। डबरा के रामगढ़ निवासी राजे किसान और व्यापारी हैं। इमरती के भाई की बेटी की शादी सुरेश राजे के बड़े भाई के बेटे से हुई है। इससे पहले 2013 के चुनाव में दोनों आमने-सामने आए थे। तब राजे भाजपा में थे।)
चंबल का हाल
चंबल संभाग में 7 सीटें हैं। मुरैना से बसपा से खड़े हुए रामप्रकाश राजौरिया ने कांग्रेस से भाजपा में आए रघुराज कंसाना और कांग्रेस के राकेश मावई के लिए चुनौती पेश कर दी। दिमनी से भाजपा के प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया और कांग्रेस से प्रत्याशी रवींद्र तोमर आमने-सामने रहे। सुमावली से भाजपा के एंदल सिंह कंसाना का मुकाबला अजबसिंह कुशवाह से हुआ। कंसाना कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, जबकि अजबसिंह भाजपा से कांग्रेस में। यह स्थिति बड़ी विचित्र रही।
जौरा सीट पूर्व विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी। यहां भाजपा के पूर्व विधायक सूबेदारसिंह का मुकाबला कांग्रेस के पंकज उपाध्याय से रहा। पंकज नया चेहरा थे। अंबाह से भाजपा ने कमलेश जाटव और कांग्रेस ने बसपा से आए सत्यप्रकाश सखवार को मैदान में उतारा। यहां निर्दलीय उम्मीदवार अभिनव छारी दोनों के लिए गले की फांस बने रहे। मेहगांव से कांग्रेस ने पूर्व विधायक हेमंत कटारे को टिकट दिया। उनका मुकाबला भाजपा के ओपीएस भदौरिया से हुआ। दोनों ब्राह्मण वोटरों पर आस लगाए बैठे रहे। गोहद से कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव का मुकाबला कांग्रेस से भाजपा में आए रणवीर जाटव से हुआ।
मालवा का हाल
हाटपीपल्या में कांग्रेस से भाजपा में आए मनोज चौधरी का मुकाबला पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह बघेल के बेटे राजवीर सिंह से हुआ। वे कांग्रेस से उम्मीदवार थे। सांवेर में कांग्रेस से भाजपा में आए तुलसी सिलावट कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू के खिलाफ मैदान में उतरे। बदनावर में कांग्रेस से भाजपा में आए राजवर्धनसिंह दत्तीगांव का मुकाबला कांग्रेस के कमल पटेल से हुआ। सुवासरा में भाजपा के हरदीप सिंह डंग का मुकाबला कांग्रेस के राकेश पाटीदार से हुआ। आगर में भाजपा के मनोज ऊंटवाल के लिए कांग्रेस के विपिन वानखेड़े कड़ी चुनौती बने रहे।
(तस्वीर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हार के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से निकलते हुए..दूसरे चित्र में तुलसी सिलावट जीत का इशारा करते हुए)
निमाड़ का हाल
नेपानगर में भाजपा की सुमित्रा कास्डेकर को कांग्रेस से दो बार चुनाव हार चुके रामकिशन पटेल के आगे परेशानी का सामना करना पड़ा। मांधता से भाजपा प्रत्याशी नारायण पटेल का मुकाबला कांग्रेस के राजनारायण के बेटे उत्तम पाल सिंह से रहा।
भोपाल का हाल
ब्यावरा की सीट कांग्रेस के गोवर्धन दांगी के निधन से खाली हुई थी। यहां भाजपा प्रत्याशी नारायण पवार कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र दांगी के खिलाफ खड़े हुए। वे पिछला चुनाव हार गए थे। सांची में कांग्रेस से भाजपा में आए प्रभुराम चौधरी का मुकाबला कांग्रेस के मदन चौधरी से हुआ।
बुंदेलखंड का हाल
सुरखी में कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू को कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद राजपूत से लड़ना पड़ा। मलहरा में कांग्रेस की साध्वी रामसिया भारती का मुकाबला भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी से हुआ।
वहीं, महाकौशल की इकलौती सीट अनूपपुर में भाजपा के मंत्री बिसाहूलाल साहू कांग्रेस से विश्वनाथ से भिड़े।
(मतगणना से पहले भोपाल में हनुमान मंदिर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ)
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राज्य की जनता ने एक बार फिर विकास और जनकल्याण के लिए संकल्पित @BJP4MP को मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय ले लिया है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव के परिणाम को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री @vdsharmabjp और साथियों के साथ देख रहा हूं। pic.twitter.com/yE4RiTG7mP