मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव के दौरान पक्ष-विपक्ष दनादन सभाएं और रैलियां कर रहे हैं, लेकिन हाईकोर्ट के एक फैसले से उन पर ब्रेक लग गया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इनके लिए पहले से चुनाव आयोग से परमिशन लेनी होगी। मामला कोविड से जुड़ा हुआ है।
भोपाल, मध्य प्रदेश. मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए होने जा रहे उप चुनाव में हाईकोर्ट के एक फैसले ने पक्ष और विपक्ष दोनों पार्टियों के नेताओं को टेंशन दे दी है। कोविड-19 को देखते हुए रैलियों और सभाओं में जुट रही भीड़ को देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि इनके लिए पहले से चुनाव आयोग से परमिशन लेनी होगी। इस फैसले के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।
शिवराज सिंह की सभाएं निरस्त..
हाईकोर्ट के फैसले के चलते गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अशोकनगर के शाडोरा और भांडेर में बराच की सभाएं निरस्त कर दी गईं। इस पर शिवराज ने कहा कि मप्र के एक हिस्स में रैली और सभाएं हो सकती हैं, लेकिन दूसरे में क्यों नहीं? इस बीच केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए चुनाव आयोग के फैसले का सभी को सहयोग करना चाहिए। बता दें कि बुधवार को मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दतिया के भांडेर में कमलनाथ और ग्वालियर में नरेंद्र तोमर की रैली को अपने आदेश का आधार बनाया था। हाईकोर्ट ने ग्वालियर और दतिया कलेक्टर से दो दिन में रिपोर्ट मांगी है। यह फैसला जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने सुनाया है।