रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पहला टिकट जारी कर दिया गया है। पहला टिकट जारी होने के बाद इंडियन रेलवे ने ट्वीट कर बधाई दी है। 2 दिन पहले 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्टेशन का लोकार्पण किया था। यह रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस है।
भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) के पहले वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति (Rani Kamlapati) रेलवे स्टेशन से पहला टिकट जारी कर दिया गया है। पहला टिकट जारी होने के बाद इंडियन रेलवे (Indian Railway) ने ट्वीट कर बधाई दी है। 2 दिन पहले 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इस स्टेशन का लोकार्पण किया था। यह रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस है। इस स्टेशन का नाम पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन था, जिसे बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है। इस स्टेशन को पूरी तरह री-डेवलप किया गया है। इस स्टेशन में एक एयर कॉन्कोर्स है, जिसमें एयरपोर्ट की तरह दुकानें और कैफेटेरिया है।
ये है स्टेशन का नया कोड
स्टेशन का नाम रानी कमलापति होने के बाद उसका कोड RKMP भी जारी कर दिया गया है। अभी तक ये HBJ होता था। सॉफ्टवेयर अपडेशन के बाद अब रेलवे ने इस नाम से पहला टिकट भी जारी कर दिया है। एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन करने का ऐलान किया था।
सबसे कम समय में बदला नाम
रेलवे बोर्ड की तरफ से बताया गया है कि अब तक के इतिहास में सबसे कम समय में किसी भी रेलवे स्टेशन के नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी की गई है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। शुक्रवार यानी 12 नवंबर को राज्य सरकार ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखने का प्रस्ताव भेजा, उसी दिन गृह मंत्रालय से सहमति दे दी। दूसरे दिन शनिवार दोपहर से पहले रेलवे बोर्ड ने अंतिम सहमति दी और भारतीय रेल सम्मेलन दिल्ली ने अधिसूचना जारी कर दी और अब दो दिन के अंदर ही पहला टिकट भी जारी हो गया है।
इसलिए रानी कमलापति पड़ा नाम
16वीं सदी में भोपाल गौंड शासकों के अधीन था। गौंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह का विवाह रानी कमलापति से हुआ था। जब निजाम शाह की मौत हो गई तो रानी कमलापति ने अपने पूरे शासनकाल में बहादुरी के साथ आक्रमणकारियों का समाना किया था और भोपाल समेत आसपास के इलाकों को आक्रमणकारियों से बचाया था, रानी के पुत्र ने तो आक्रमणकारियों से लड़ते हुए शाहदत दी थी। पति की मौत के बाद रानी कमलापति का जीवन साहस भरा रहा जो, प्रेरणा देने वाला है। कमलापति के इन्हीं त्याग के कारण गौंड रानी व उनके परिवार की स्मृतियों को सजोने के लिए स्टेशन का नाम उनके नाम पर किया है।
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