सार

रानी कमलापति रेलवे स्टेशन ( Habibganj Junction)  की तरफ से जाने वाली ट्रेनें  Itarsi Junction से विभिन्न रुट पर कट जाती हैं। South India  की तरफ जाने वाली ट्रेनों के लिए ये बड़ा जंक्शन है। पूरे देश में विभिन्न स्थानों के लिए जाने केलिए ट्रेनें यहां से मिल जाती हैं।

ऑटो डेस्क। आज यानि 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रानी कमलापति (Kamalapati Station) पुराना नाम (Habibbganj) देश के पहले वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन को देश को समर्पित करेंगे। ये  PPP Mode से बनने वाला देश का पहला स्टेशन भी है। नए टर्मिनल का नया नाम रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है। इस स्टेशन में अत्याधुनिक सुविधाएं उलब्ध कराई गई हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस स्टेशन के किसी भी प्लटफॉर्म पर जाने के लिए दिव्यांगों को कई तकलीफ नहीं होगी। इस स्टेशन में बाहर आने जाने के लिए 2 सब्वे विथ रैम्प, बनाए गए है। साथ में AC Retiring Room, Dormitory,महिला और पुरुषों के लिए सेपरेट मेन्स एंड वूमेन लाउंज, वीआईपी लाउंज, बनाए गए हैं। 

दक्षिण भारत के लिए मिलती हैं सुगमता से ट्रेन

रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (पूर्व नाम : हबीबगंज जंक्शन) भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह भोपाल शहर में स्थित है और भोपाल शहर का दूसरा नंबर का रेलवे स्टेशन है। भोपाल शहर के अंदर एक और स्टेशन मिसरोद स्थित है। इस स्टेशन के बाद मंडीदीप (औद्योगिक एरिया) स्टेशन आता है। विपरीत दिशा में रुख करने पर हबीबगंज ( Habibbganj) के  भोपाल स्टेशन ( Bhopal station) आता है। भोपाल स्टेशन से दिल्ली, उत्तर भारत, दक्षिण भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनें मिलती है। हबीबगंज से भी ये ट्रेनें मिलती हैं। इस रुट की तरफ से जाने वाली ट्रेनें इटारसी जंक्शन से विभिन्न रुट पर कट जाती हैं। भोपाल मुख्य रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 7 km है। वहीं सेंट्रल भोपाल से इसकी दूरी 10 km है। भोपाल शहर के दक्षिणी क्षेत्र में कमर्शियल क्षेत्र महाराणा प्रताप नगर से इस स्टेशन की दूरी मात्र 2 km है। हबीबगंज अब रानी कमलापति जंक्शन  भारत का पहला आईएसओ प्रमाणित निजी रेलवे स्टेशन है। 14 नवंबर 2021 को हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम ​रानी कमलापति किया गया है।  

जागरीदार हमीदुल्लाह के नाम पर  "हबीबगंज" नाम पड़ा
विजय मनोहर तिवारी बताते हैं, भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह थे। उनके एक भाई थे नसरुल्लाह। नसरुल्लाह के बड़े बेटे का नाम हबीबुल्लाह था। भोपाल के पास एक गांव था जो  हबीबुल्लाह की जागीर थी। पहले जो राजा, नवाब या सुल्तान हुआ करते थे, वे अपने भाई भतीजों को जागीरें बांटा करते थे। हबीबुल्लाह अंतिम नवाब के भतीजे थे। वे खुद नवाब नहीं थे, लेकिन उनको उस गांव की जागीर मिली हुई थी। 110-112 साल पहले जब यहां ट्रेन रूट का काम शुरू हुआ तो हर 10-12 किमी पर एक रेलवे स्टेशन प्लान किया गया। जब यहां का रेलवे स्टेशन प्लान हुआ तो एक नाम रखना था। तो लोगों ने कहा कि हबीबुल्लाह की जागीर है तो उन्हीं के नाम पर ये नाम रख दिया गया और इस तरह से इस स्टेशन का नाम हबीबगंज रेलवे स्टेशन पड़ गया।

देश का पहला  private railway station

हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निर्माण 1979 में किया गया। रेलवे मिनिस्ट्री ने साल 2017 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निजीकरण किया। ये भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन गया। स्टेशन में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, फॉरेक्स कियोस्क और खाने की व्यवस्था है। बंसल ग्रुप (मैसर्स बंसल पाथवेज हबीबगंज प्राइवेट लिमिटेड)  (Bansal Group (M/S Bansal Pathways Habibganj Private Limited) ने आईआरएसडीसी से इस रेलवे स्टेशन को रेनोवेट करने की जिम्मेदारी ली है।

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