मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पर लगी रोक, शिवराज कैबिनेट की बैठक में बनी सहमति, राज्यपाल को भेजा गया प्रस्ताव

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार पंचायत राज्य संशोधन अध्यादेश वापस ले रही है। इस पर विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत होना था, लेकिन नहीं हो सका। विधानसभा में हम संकल्प लेकर लेकर आएगी ओबीसी वर्ग के आरक्षण के बिना चुनाव में नहीं जाएंगे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2021 7:52 AM IST / Updated: Dec 26 2021, 01:54 PM IST

भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में ओबीसी आरक्षण पर चल रहे सियासी घमासान को देखते हुए शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव को टालने का फैसला लिया है। शिवराज कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव के अध्यादेश को निरस्त करने पर मुहर लगा दी गई है। इसका प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया है। इसी अध्यादेश के आधार पर मध्य प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन अब अध्यादेश के वापस लिए जाने पर राज्य निर्वाचन आयोग के पास चुनाव कराने का आधार नहीं रहा। बता दें कि राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अध्यादेश स्वतः निरस्त हो जाएगा और राज्य निर्वाचन आयोग के पास चुनाव टालने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा।

ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव में नहीं जाएंगे
प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार पंचायत राज्य संशोधन अध्यादेश वापस ले रही है। इस पर विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत होना था, लेकिन नहीं हो सका। विधानसभा में हम संकल्प लेकर लेकर आएगी ओबीसी वर्ग के आरक्षण के बिना चुनाव में नहीं जाएंगे। पंचायत मंत्री ने कैबिनेट ने प्रस्ताव रखा कि जो हमारा अध्यादेश परिसीमन से संबंधित कैबिनेट ने उसे वापस लेने के लिए राज्यपाल को भेजने का प्रस्ताव पारित किया है। अब राज्यपाल के फैसले का इंतजार है। इस पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग लेगा।

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कांग्रेस ने बखेड़ा शुरू किया
वहीं, पंचायती में ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस (congress) ने शुरू से ही पंचायत चुनाव में बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास किया है। कांग्रेस के लोगों ने कोई ऐसी अदालत नहीं छोड़ी, जहां में पंचायत चुनाव के विरोध में नहीं गए। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शुरुआत से ही इस बात को लेकर प्रतिबद्ध थे कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव ना हो। सदन में अपरिहार्य कारणों से संशोधन विधेयक पारित नहीं हो पाया और सुप्रीम कोर्ट का भी जो आदेश था, उसे मानने करते हुए इस अध्यादेश को महामहिम राज्यपाल को वापस करने का प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव कराना या ना कराना निर्वाचन आयोग को फैसला करना है, सरकार ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है।

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