पालतू गाय को बेटी की तरह पाला, मौत हुई तो निकाली अंतिम यात्रा, नम आंखों से दी विदाई

आम तौर पर इंसान और जानवरों के बीच का प्रेम सदियों पुराना है। इस प्रेम की कई बार ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जिससे इंसान और जानवरों के बीच का ये प्रेम एक मिसाल बन जाता है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के झाबुआ (Jhabua) में भी ऐसा ही एक भावुक कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक गाय मौत के बाद उसके मालिक ने परिवार के एक सदस्य की ही तरह अंतिम विदाई दी। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 21, 2021 9:42 AM IST

झाबुआ। आम तौर पर इंसान और जानवरों के बीच का प्रेम सदियों पुराना है। इस प्रेम की कई बार ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जिससे इंसान और जानवरों के बीच का ये प्रेम एक मिसाल बन जाता है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के झाबुआ (Jhabua) में भी ऐसा ही एक भावुक कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक गाय मौत के बाद उसके मालिक ने परिवार के एक सदस्य की ही तरह अंतिम विदाई दी। बाकायदा अर्थी तैयार की गई। गाय को सजाया गया। उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें गांव वाले शामिल हुए और विश्राम घाट लेकर गए। वहां परिजन ने नम आंखों से गाय को अंतिम विदाई दी। मामला जिले के थांदला (Thandla) गांव का है।

जानकारी के मुताबिक, आत्माराम की पालतू गाय रानी की बीते रोज बीमारी से मौत हो गई। आत्माराम ने रानी को अपने बच्चे की ही तरह पाल कर बड़ा किया था। लिहाजा, गाय की मौत से पूरा परिवार बेहद गमगीन हो गया। आमतौर पर गाय की मौत पर नगर निगम को सूचना दी जाती है, लेकिन आत्माराम के परिवार ने तय किया कि वह अपनी गाय को परिवार के सदस्य की ही तरह अंतिम विदाई देंगे, इसलिए अंतिम संस्कार के लिए अर्थी तैयार की गई। इसके बाद एक ट्रैक्टर-ट्रॉली सजाई गई। ट्रॉली में गाय रानी के शव को रखा गया। जिसके बाद परिवार के सभी सदस्यों और पड़ोसियों ने नम आंखों से विदाई दी।

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पड़ोसी भी करते थे रानी से प्यार, भावुक नजर आया परिवार
अंतिम यात्रा बैंड-बाजे के साथ थांदला के प्रमुख रास्तों से होकर गुजरी। गांव के बाहर खुले मैदान में पूरे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रानी का अंतिम संस्कार किया गया। रानी के अंतिम संस्कार में मालिक आत्माराम बेहद भावुक देखे गए। उनका कहना था कि रानी ने पिछले डेढ़ साल में परिवार में एक सदस्य के तौर पर जगह बना ली थी। मुझे वह मेरे बच्चों जितनी ही प्यारी थी। आस-पड़ोस में रहने वाले लोग भी रानी से स्नेह करते थे। वह हमारे परिवार का हिस्सा बन गई थी, इसलिए उसका अंतिम संस्कार भी एक पारिवारिक सदस्य की तरह किया है।

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