महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने महाकाल मंदिर में पंचामृत पूजन पर रोक के साथ ज्योतिर्लिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया। इसके अलावा कोर्ट ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को निर्देश दिए हैं।
उज्जैन (मध्य प्रदेश). महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने महाकाल मंदिर में पंचामृत पूजन पर रोक के साथ ज्योतिर्लिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया। इसके अलावा कोर्ट ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को निर्देश दिए कि वह सुझावों को अमल में लाए और ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के हर संभव उपाय करें।
एक महिला ने 7 साल पहले कोर्ट में दायर की थी याचिका
बता दें कि साल 2013 में उज्जैन की सारिका गुरु नामक महिला ने महाकाल मंदिर में शिवलिंग क्षरण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बाद में यह केस सुप्रीम कोर्ट चला गया तभी से लगातार सुनवाई चल रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर मंदिर का निरीक्षण करवाया था।
एक सप्ताह पहले कोर्ट में पेस हुई थी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के द्वावारा बनाई कमेटी ने 25 अगस्त को इस रिपोर्ट को कोर्ट में पेस किया था। इसके बाद 27 अगस्त को याचिकाकर्ता का पक्ष सुना गया। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अब मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस मामले में फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की यह हैं खास बातें
1. अब आम श्रद्धालु पंचामृत अभिषेक नहीं करा पाएंगे।
2. कोई भी ऐसी सामग्री जिससे शिवलिंग को नुकसान पहुंचे, न चढ़ने दी जाए।
3. श्रद्धालु को शिवलिंग पर घिसना और रगड़ना भी प्रतिबंधित।
4. समिति श्रद्धालुओं को शुद्ध पूजन सामग्री उपलब्ध कराए।
5. शासकीय पूजन में ही पंचामृत पूजन हो सकेगा।
6. शाम 5 बजे के बाद अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी।
7. शासकीय पूजन में ही पंचामृत पूजन हो सकेगा, केवल दूध और जल ही चढ़ा पाएंगे श्रद्धालु।
8. सिर्फ आरओ के जल से ही शिवलिंग का अभिषेक होना चाहिए।
अभी श्रद्धालु ऐसे करते थे शिवलिंग का अभिषेक
बता दें कि अभी तक श्रद्धालु पंचामृत पूजन में दूध, दही, घी, शक्कर और फलों का रस मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाकर रगड़ते थे। इस तरह से महाकाल की पूजन करने और अभिषेक करने पर शिवलिंग का क्षरण (नुकसान) हो रहा था। हालांकि मंदिर समिति ने क्षरण रोकने के लिए इससे पहले भी कई तरह के उपाय कर चुकी है।लेकिन अब कोर्ट ने मंदिर समिती को कहा है कि इन निर्देशों का पालन होना चाहिए।