PM Modi In Bhopal : जनजातीय स्टाइल में मोदी की स्पीच, विपक्ष पर बरसे, आदिवासियों का जीता दिल..PM की बड़ी बातें
पीएम मोदी ने कहा कि भारत आजादी के बाद अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। जीवन का एक लंबा समय आदिवासी क्षेत्रों में बिताया है। आदिवासी जीवन में परपज ऑफ लाइफ है। आपने अपने नृत्य और गीत के द्वारा बताया कि शरीर चार दिनों का है अंत में मिट्टी में मिल जाएगा।
Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2021 9:15 AM IST / Updated: Nov 15 2021, 03:02 PM IST
भोपाल : मध्यप्रदेश (madhya pradesh) की राजधानी भोपाल (bhopal) में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय भाषा में लोगों से संवाद शुरू किया। पीएम ने सभी स्थानीय लोगों को बिरसा मुंडा के जन्मदिन की बधाई दी। मध्यप्रदेश के अनेक जनजातीय समाज का आभार। भारत आजादी के बाद अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। जीवन का एक लंबा समय आदिवासी क्षेत्रों में बिताया है। आदिवासी जीवन में परपज ऑफ लाइफ है। पीएम ने कहा कि आपने अपने नृत्य और गीत के द्वारा बताया कि शरीर चार दिनों का है अंत में मिट्टी में मिल जाएगा। जानें पीएम के भाषण की बड़ी बातें...
PM मोदी की बड़ी बातें..
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आदिवासी जीवन में परपज ऑफ लाइफ है। आपने अपने नृत्य और गीत के द्वारा बताया कि शरीर चार दिनों का है अंत में मिट्टी में मिल जाएगा। खाना-पीना खूब किया, भगवान का नाम भुलाया। मौज मस्ती में जीवन बिता दिया, जीवन सफल नहीं किया। घर में उत्पात भी खूब किया, जब अंत समय आया तो पछताना व्यर्थ है। धरती खेत खलिहाल किसी के नहीं हैं। ये धन, दौलत किसी के साथ नहीं जाएंगे। सब यहीं रह जाएंगे। इन जनजातीय गीतों में जीवन का तत्वज्ञान है। इससे बड़ी किसी देश की विरासत, ताकत और पूंजी क्या हो सकती है।
आज का दिन पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है।
गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने वहां पर जनजातीय समाज में बदलाव के लिए बहुत सारे अभियान शुरू किए। जब देश ने मुझे 2014 में आपकी सेवा का मौका दिया तो मैंने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। आज सही मायने में आदिवासी समाज को देश के विकास में भागीदारी दी जा रही है।
अब जब गांव में आपके घर के पास सस्ता राशन पहुंचेगा तो आपका समय भी बचेगा ओर अतिरिक्त खर्च से भी मुक्ति मिलेगी। मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश में जनजातीय परिवारों में तेजी से मुफ्त टीकाकरण भी हो रहा है। दुनिया के पढ़े लिखे देश में भी टीकाकरण पर सवालिया निशान लगाने को लेकर भी खबरें आती हैं। लेकिन, मेरे आदिवासी भाई-बहन टीकाकरण के महत्व को समझते हैं। पढ़े लिखे लोगों को आदिवासी से सीखना चाहिए।
आज यहां भोपाल आने से पहले रांची में बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। आजादी के नायकों की वीर गाथाएं देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेश शासन के खिलाफ मीजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गौंड महारानी वीर दुर्गावाती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की परिकल्पना भील बहादुरों के बिना नहीं की जा सकती।
जनजातीय सम्मेलन पर कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा। देश को अंधेरे में रखा गया। और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। आजादी के बाद इतने दशक तक सरकार चलाने वालों ने अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी।
आज 100 से अधिक जनजातीय जिलों में केंद्र सरकार विकास के काम कर रही है। इनमें पिछड़े बताए गए जिलों को प्राथमिकता पर रखा जाता है। राज्यों को 50 हजार करोड़ मिले हैं, जो उसी क्षेत्र के विकास में खर्च करने हैं।
अब तो खनन से जुड़ी नीतियों में भी ऐसे बदलाव किया है, उससे जनजातीय लोगों को रोजगार मिलेगा। जनजातीय भागीदारी के बिना भारत की आत्मनिर्भरता पूरी नहीं होगी। पद्म पुरस्कारों में आदिवासी और जनजातीय समाज के लोगों को भी चुना गया। यही तो हमारे असली हीरो हैं।
आदिवासी समुदाय के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। बाबा साहब पुरंदरे जी ने शिवाजी महाराज के जीवन इतिहास को आम लोगों के बीच तक पहुंचाने में बहुमूल्य योगदान दिया है।
आदिवासी समाज की कला को मार्केट से महरूम रखा गया। लेकिन अब इनकी कलाओं को बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। जिन मोटे अनाज को कभी दोएम नजर से देखा जा रहा था, आज वो भारत का ब्रांड बन रहा है।
कभी 9, अब 90 उपजों पर MSP पर दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि जनजातीय युवाओं को उच्च शिक्षा, और तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं। जनजातीय समाज के बच्चों को पढ़ाई के समय भाषा की दिक्कत होती थी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है।
जनजातीय समाज के आत्मविश्वास के लिए, अधिकार के लिए हम दिन-रात मेहनत करेंगे। हम इस संकल्प को फिर दोहरा रहे हैं कि जैसे हम गांधी जयंती मनाते हैं, सरदार पटेल की जयंती मनाते हैं, वैसे ही भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में पूरे देश में मनाई जाएगी।