बाबा साहेब की 131वीं जयंती: जानिए कहां है संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली,बड़ा रोचक है किस्सा

आज बड़ी संख्या में अनुयायी बाबा साहेब की जन्मस्थली पहुंच रहे हैं। दिग्गज नेताओं का भी जमावड़ा लगेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी अंबेडकर जयंती समारोह में शामिल होने पहुंचेंगे। दिग्विजय सिंह और कई अन्य मंत्री भी वहां पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

इंदौर : संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) की आज 131वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) के महू (Mhow) में भव्य आयोजन किया जा रहा है। इंदौर शहर से 23 किलोमीटर बसे इस छोटे से शहर में बाबा साहेब का स्मारक बनाया गया है। हर साल यहां उत्साह के साथ उनकी जयंती मनाई जाती है। इस बार भी यहां दिग्गजों का जमावड़ा लगने जा रहा है। ऐसे मौके पर आइए आपको बताते हैं संविधान के शिल्पकार की जन्मस्थली से जुड़ी रोचक कहानी, जिसे शायद ही आप जानते होंगे... 

महाराष्ट्र नहीं महू है जन्मस्थली
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। साल 1956  में बाबा साहेब का निधन हो गया। तब उनके जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों में अलग-अलग राय थी। ज्यादातर लोगों को लगता था कि उनका जन्म महाराष्ट्र (Maharashtra) के रत्नागिरी (Ratnagiri) में हुआ था। जबकि कुछ लोग यह भी मानते थे कि मध्यप्रदेश के महू में बाबा साहेब का जन्म हुआ था। 1970 में महाराष्ट्र के ही भंते धर्मशील ने इसका पता लगाना शुरू किया। इसके कुछ साल में ही पता चला की डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी सकपाल सेना में सूबेदार थे और उनकी ड्यूटी महू में ही थी। पता चला कि जिस बैरक में उनके पिता रहते थे, वहीं उनका जन्म हुआ था। आधिकारिक जानकारी से इसकी पुष्टि भी हुई। ब्रिटिश सेना की छावनी में उनका जन्म हुआ और वे अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे। यह इलाका काली पलटन नाम से जाना जाता है।

Latest Videos

इस तरह मिली स्मारक की जमीन
इसके बाद शुरू हुआ संघर्ष बैरक की 22,500 वर्ग फीट जमीन लेने की। भंते धर्मशील ने कई परेशानियों का सामना किया, सेना से लेकर सरकार तक पत्र पर पत्र भेजे और आखिरकार अंत में सफलता उन्हें मिली और सरकार ने जमीन दे दी। इसके बाद अंबेडकर स्मारक बनाने का प्लान बना। डॉ. आंबेडकर मेमोरियल सोसायटी बनाई गई। जिसके बाद स्मारक का निर्माण कार्य शुरू हुआ।

बनकर तैयार हुआ स्मारक
12 अप्रैल 1991 को भंते धर्मशील मुंबई से भीमराव अंबेडकर का अस्थि कलश लेकर महू पहुंचे। दो दिन बाद 14 अप्रैल 1991 को बाबा साहेब की 100वीं जयंती पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने उनकी जन्मस्थली पर स्मारक की आधारशिला रखी। 14 अप्रैल 2008 को 117 वीं जयंती यह स्मारक लोगों के लिए खोल दिया गया। इस स्मारक का नाम भीम जन्मभूमि रखा गया है।

स्मारक की खासियत
स्मारक को बौद्ध वास्तुकला की तरह बनवाया गया है। इसके अंदर किसी स्तूप की तरह ही अस्थि कलश रखा गया है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और आराधना करते हैं। स्मारक के मुख्य हाल में बाबा साहेब एक कुर्सी पर बैठे हैं। उनके बगल में उनकी पत्नी रमाबाई खड़ी हैं। यहां उनके पिता सूबेदार रामजी और माता भीमाबाई की तस्वीरें भी लगी हैं। डॉ. अंबेडकर के जीवन को दिखाया गया है।

इसे भी पढ़ें-ऐसे बदला था डॉ भीमराव अंबेडकर का सरनेम, क्या आप जानते हैं बाबा साहेब की जिंदगी से जुड़े ये फैक्ट्स

इसे भी पढ़ें-प्रधानमंत्री संग्रहालय की Exclusive PHOTOS: मोदी 14 अप्रैल को करेंगे उद्घाटन, जानें म्यूजियम की बड़ी बातें


 

Share this article
click me!

Latest Videos

Maharashtra Election Result: जीत के बाद एकनाथ शिंदे का आया पहला बयान
'मणिपुर को तबाह करने में मोदी साझेदार' कांग्रेस ने पूछा क्यों फूल रहे पीएम और अमित शाह के हाथ-पांव?
SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
Wayanad Elecion Results: बंपर जीत की ओर Priyanka Gandhi, कार्यालय से लेकर सड़कों तक जश्न का माहौल
200 के पार BJP! महाराष्ट्र चुनाव 2024 में NDA की प्रचंड जीत के ये हैं 10 कारण । Maharashtra Result