जहां बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं का नारा दिया जाता है,बाल विवाह रोकने के लिए नए कानून बनाए जाते है जागरुकता अभियान चलाया जाता है फिर भी देश में बाल विवाह रुकने का नाम नहीं ले रहे है,ताजा मामला म.प्र. के इंदौर का है।
इंदौर. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गठित उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने समय रहते हरकत में आने से इंदौर (Indore) प्रशासन के अंतर्गत दो सगी बहनों का बाल विवाह होने से बचा लिया है। बाल विवाह के खिलाफ महिला एवं बाल विकास विभाग टीम संगठन के उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने गुरुवार को यह जानकारी देत हुए बताया कि इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में रहने वाली दो नाबालिग बहनों की शादी पड़ोस के देवास (Dewas) जिले के दो अलग-अलग परिवारों के युवकों से करने की तैयारी चल रही थी। बाल विवाह की सूचना मिलने पर प्रशासन ने इस शादी को रुकवा दिया।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने मांगा उम्र का प्रमाण पत्र
पाठक ने कहा कि जब हमने दोनों लड़कियों की उम्र पता करने के लिए पिता से उनकी उम्र का प्रमाण पत्र मांगा तो वह आना कानी करने लगा सख्ती से मांगने पर उसने कहा कि अभी उसके पास ऐसा कोई प्रमाणपत्र नहीं है और एज सर्टिफेट उनके गांव के पैतृक घर में रखे हुए हैं, जहां ताला लगा है। उड़नदस्ते ने दोनों बहनों के उम्र की जांच के लिए स्कूल से रिकॉर्ड मंगवाया तो पता चला कि इनमें से एक लड़की 17 वर्ष की है, जबकि दूसरी की उम्र 15 साल है।
बता दे कि देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है, जो कानूनन अपराध है। तथा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो साल तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों तरह की सजा देना का प्रावधान है।
बालिकाओं को प्रताड़ित करता था पिता
उड़नदस्ता प्रभारी ने कहा कि दोनों बालिकाओं ने शिकायत करते हुए बताया कि उसके पिता नशे की हालत में आए दिन उनके साथ मारपीट करता है। लड़कियों ने यह भी कहा कि उनके पिता उन्हें घर की ऊपरी मंजिल से नीचे फेंकने का प्रयास कर चुके है। दोनों बहनों ने आशंका जताई कि अगर वे अब भी पिता के घर रहीं तो उन्हें फिर प्रताड़ना दी जाएगी। प्रताड़ना के डर से बालिकाओं ने पिता के साथ रहने से इनकार कर दिया है। उनके इनकार के बाद बाल कल्याण समिति ने उन्हें अस्थायी रूप से एक आश्रय स्थल भेजवा दिया है। पाठक के मुताबिककि दोनों बालिकाओं और उनके माता-पिता के बयानों के आधार पर समिति फैसला करेगी कि वे भविष्य में कहां रहेंगी।