भोपाल में 4 बच्चों की मौत के बाद जागी शिवराज सरकार, अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट के आदेश, एडवाइजरी भी जारी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj singh chauhan) ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र और उसकी आपूर्ति लाइन स्थापित की गई है, इसलिए अग्नि सुरक्षा अब अधिक महत्वपूर्ण है। चौहान ने मंगलवार को कहा- ‘मैंने पहले भी अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट (fire safety audit) करने का निर्देश दिया था। अब मैं मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कह रहा हूं कि किन अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया और कौन से छूट गए।’
 

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में कमला नेहरू चिल्ड्रिन हॉस्पिटल (Kamala Nehru Children Hospital) में आग लगने की घटना में 4 बच्चों की मौत के बाद प्रदेश सरकार अलर्ट हो गई है। मंगलवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा (fire safety) के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए। इसके साथ ही राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट कराने के आदेश दिए। नए निर्देशों के अनुसार, अग्निशमन यंत्र, फर्स्ट एड सुविधा, मैन्युअली फायर अलार्म सिस्टम, अंडरग्राउंड स्टेटिक वाटर स्टोरेज टैंक, स्प्रिंकलर सिस्टम के सेट आदि अस्पतालों में उपलब्ध होना चाहिए। इसके अलावा, अस्पतालों में अग्नि और विद्युत सुरक्षा का ऑडिट हर दो साल में होना चाहिए। अस्पताल के कर्मचारियों के लिए हर छह महीने में मॉक ड्रिल होनी चाहिए। 

बता दें कि भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चिल्ड्रिन वार्ड में सोमवार रात आग लगने से चार बच्चों की मौत हो गई थी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) के अनुसार, वार्ड के अंदर 36 अन्य बच्चे सुरक्षित हैं। प्रत्येक मृत बच्चे के माता-पिता के लिए 4 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों के निधन पर शोक व्यक्त किया है और घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा) मोहम्मद सुलेमान यह जांच करेंगे।

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घटना पर मुख्यमंत्री ने ये कहा...
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj singh chauhan) ने कहा कि भोपाल के अस्पताल में सोमवार को लगी आग ‘आपराधिक लापरवाही’ का नतीजा है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कैबिनेट की बैठक के पहले कहा- ‘इन बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी (सरकार) थी क्योंकि वे हमारे संरक्षण में थे। यह एक गंभीर घटना है। यह आपराधिक लापरवाही है, जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। हमें भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने की जरूरत है। ऐसी घटनाओं से बचाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था की जानी चाहिए।’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र और उसकी आपूर्ति लाइन स्थापित की गई है, इसलिए अग्नि सुरक्षा अब अधिक महत्वपूर्ण है। चौहान ने मंगलवार को कहा- ‘मैंने पहले भी अस्पतालों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट करने का निर्देश दिया था। अब मैं मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कह रहा हूं कि किन अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया और कौन से छूट गए।’

बच्चों को बचाने वाले सम्मानित होंगे
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों का दोबारा अग्नि सुरक्षा ऑडिट कराने के भी आदेश दिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की प्रशंसा की, जो सोमवार को आग लगने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचे और राहत कार्यों को संभाला। मुख्यमंत्री ने कहा-‘डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय और अन्य लोगों को जिन्होंने 36 शिशुओं को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया है, उन्हें सम्मानित किया जाएगा।’

मंत्री बोले- संभवत: शॉर्ट सर्किट से आग लगी
चौहान ने यह भी कहा कि वह सोमवार की रात को घटनास्थल का दौरा करने के इच्छुक थे लेकिन उन्हें रोक दिया गया ताकि राहत कार्य सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने कहा कि वह रातभर अधिकारियों को निर्देश जारी कर स्थिति का जायजा ले रहे थे। इस बीच, प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री एवं भोपाल जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मंगलवार को यहां सारंग के साथ आग से प्रभावित अस्पताल का दौरा किया। मंत्री सारंग का कहना था कि संभवत: शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी थी।

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