150 साल बाद झांसी की रानी के सामने नतमस्तक सिंधिया राजवंश, कांग्रेस बोली- गद्दार घराना, समाधि स्थल धोना पड़ेगा

 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के डेढ़ शताब्दी से ज्यादा समय बाद पहली बार सिंधिया राजवंश (Scindia Rajvansh) का कोई वारिश ग्वालियर (Gwalior) में झांसी (Jhansi) की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai) को नतमस्तक करने पहुंचा। रविवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने झांसी की रानी के शहादत स्थल पर जाकर उनको नमन किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए।

ग्वालियर। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के डेढ़ शताब्दी से ज्यादा समय बाद पहली बार सिंधिया राजवंश (Scindia Rajvansh) का कोई वारिश ग्वालियर (Gwalior) में झांसी (Jhansi) की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai) को नतमस्तक करने पहुंचा। रविवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने झांसी की रानी के शहादत स्थल पर जाकर उनको नमन किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। सिंधिया के साथ मध्य प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) भी मौजूद थे। दो दिन बाद अब कांग्रेस (Congress) ने सिंधिया को निशाने पर लिया है और तीखी प्रतिक्रिया दी है। ग्वालियर महिला कांग्रेस की शहर जिलाध्यक्ष रुचि गुप्ता (Ruchi Gupta) ने कहा कि आज वीरांगना की आत्मा को दुख पहुंचा है। समाधि स्थल को कुदरत (बारिश) खुद शुद्ध कर देगी या फिर हम इसे धोकर शुद्ध करेंगे। 

रुचि का कहना था कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को तकलीफ कितनी हुई होगी, जब उनकी समाधि पर पैर रखा होगा। 1857 में सिंधिया घराने ने रानी से गद्दारी की थी। इसी घराने के मुखिया अब समाधि पर गए हैं। वे बताएं कि आज क्या जरूरत पड़ गई, वहां जाने की? क्या मजबूरी थी लक्ष्मीबाई को नमन करने की?' उन्होंने ये भी कहा कि जो लोग कल कत्ल पर हंस रहे थे, आज उस बुत पर फूल-माला चढ़ाकर हंस रहे हैं। मंसूबे तब भी वही थे, मंसूबे आज भी वही हैं। तब गद्दारी की थी और आज भी गद्दारी जनता के वोट के साथ की है। 

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कांग्रेस बोली- कुर्सी के लिए बीजेपी क्या कुछ नहीं करवा रही
कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा (Narendra Saluja) ने कहा कि श्रीमंत ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पहुंचे। अब लगता है कि रानी लक्ष्मीबाई के अनुयायी और जयभान सिंह पवैया समाधि स्थल को गंगा जल से धो सकते हैं। श्रीमंत से भाजपा पद और कुर्सी के लिए क्या-क्या नहीं करवा रही है।

 

दरअसल, 26 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नाले पर बनने वाले पुल और सड़क का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस बीच, वे महारानी लक्ष्मी बाई के शहादत स्थल पर गए और वीरांगना को पुष्प अर्पित कर नमन किया। माथा टेका और समाधि स्थल की परिक्रमा भी की। हालांकि, इसका ये मतलब कतई नहीं था कि सिंधिया का वीरांगना के प्रति श्रद्धाभाव नहीं था। मगर इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि अब तक रानी की समाधि पर होने वाले कार्यक्रमों में सिंधिया परिवार की सार्वजनिक रूप से कभी उपस्थिति नजर नहीं आई। इतिहासकारों का कहना है कि ये पहला मौका है, जब सिंधिया परिवार का कोई सदस्य रानी को नमन करने पहुंचा। सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब राहुल गांधी के साथ रोड शो करते हुए समाधि स्थल पहुंचे थे। व्यक्तिगत रूप से पहली बार ही आए हैं।

क्यों चर्चा का विषय और खास माना जा रहा?
दरअसल, इतिहास में महारानी लक्ष्मीबाई और सिंधिया राजवंश के बीच कोई विवाद का जिक्र नहीं है। मगर, सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में इसका जिक्र मिलता है। उनकी कविता में लिखा है- विजयी रानी आगे चल दी, क्या ग्वालियर पर अधिकार...अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। इसके अलावा, मांझा प्रवास में भी रानी का साथ ना देने का जिक्र है। मराठी लेखक विष्णुदत्त भट्ट गोडसे की पुस्तक मांझा प्रवास में इस घटना का जिक्र मिलता है कि रानी लक्ष्मीबाई मदद की आशा लेकर ग्वालियर पहुंची थीं। लेकिन, अंग्रेजों से पहले ही संधि कर चुका ग्वालियर के सिंधिया शासक अपनी राजधानी छोड़कर नरवर जा पहुंचे थे।

सिंधिया अब बीजेपी में, यूपी चुनाव में संभालेंगे प्रचार की कमान
ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे अरसे से कांग्रेस में थे। 2 साल पहले ही 2020 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। उनके साथ 17 विधायक भी भाजपा में आए। ऐसे में मप्र की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और कमलनाथ को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अब सिंधिया मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। यूपी में महीनेभर बाद विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा चुनावी कैंपेन की तैयारी में लगी है। सिंधिया का वर्चस्व ग्वालियर और चंबल इलाके में माना जाता है। ये इलाका यूपी से सटा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा सिंधिया की छवि का फायदा उठाने की तैयारी में है। उनको आगरा, इटावा, और बुंदेलखंड इलाके में चुनाव प्रचार की कमान सौंपे जाने की तैयारी है। जल्द ही स्टार प्रचारकों की सूची में ऐलान किया जाएगा।

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