यहां अष्टमी पर खप्पर लेकर निकलते हैं अंबे के भक्त, 400 साल से चली आ रही परंपरा

मध्य प्रदेश के खरगोन में अष्टमी पर मां की अनूठी सवारी निकली। इसमें मां अंबे का स्वांग रचकर उनक भक्त एक हाथ में जलता खप्पर और दूसरे में तलवार लिए होते हैं। यह परंपरा 400 साल से चली आ रही है। कार्यक्रम के पहले पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया था। रविवार को नवमीं पर चल समारोह निकलेगा।

Asianet News Hindi | Published : Oct 24, 2020 9:04 AM IST / Updated: Oct 24 2020, 02:42 PM IST

खरगोन, मध्य प्रदेश. नवरात्रि की अष्टमी पर देशभर के दैवीय मंदिरों में कार्यक्रम चल रहे हैं। लेकिन खरगोन में एक परंपरा होती है। यहां मां अंबे की अनूठी सवारी निकाली जाती है। इसमें मां के भक्त उनका स्वांग रचते हैं। उनके एक हाथ में जलता हुआ खप्पर होता है, तो दूसरे में तलवार। यह परंपरा पिछले 400 साल से चली आ रही है। इस शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात भी यहां इस परंपरा का निर्वाह करते हुए मां की सवारी निकाली गई। यह विशेष कार्यक्रम भावसार मोहल्ला स्थित श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर परिसर में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे से शुरू हुआ था।

पूरे क्षेत्र के किया गया सैनिटाइज
इस कार्यक्रम के पहले पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया था। भावसार क्षत्रिय समाज के इस कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. मोहन भावसार ने बताया कि मां अंबे का स्वांग मनोज मधु भावसार और आयुष सुनील भावसार ने रचाया। इससे पहले झाड़ की पूजा-अर्चना करके गणेशजी की सवारी निकली।

परंपरा के अनुसार भगवान गणेश और मां का स्वांग रचने वाले भक्त सिद्धनाथ महादेव के दर्शन करके ही बाहर निकलते हैं। बताते हैं कि स्वांग रचने वाले कलाकार एक ही परिवार के होते हैं। इसी परंपरा के तहत महानवमीं पर यानी रविवार को महाकाली की सवारी निकलेगी। यह रविवार तड़के शुरू होगी। इसमें महाकाली एक हाथ में तलवार लेकर शेर पर सवार होकर निकलती हैं। इसके बाद भगवान नरसिंह की सवारी निकलती है। झांकी में भगवान नरसिंह द्वारा राक्षस हिरण्यकश्यप का वध दिखाया जाएगा।

मध्य प्रदेश के देवी मंदिरों में विशेष कार्यक्रम

मध्य प्रदेश में तीन-चार प्रसिद्ध देवी मंदिर हैं। इनमें दतिया की पीतांबरा पीठ, भोपाल के समीप स्थित सलकनपुर और सतना जिले में स्थित मैहर माता मंदिर। यहां आमतौर पर नवरात्रि में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते भीड़ रोकने के इंतजाम किए गए हैं। बहरहाल, इन मंदिरों में अष्टमी और नवमीं पर विशेष पूजा-अर्चना होगी।

 

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