कान पकड़कर क्यों उठक-बैठक कर रहा मध्यप्रदेश का ये किसान, पूरी जिंदगी इस फसल की खेती ना करने की खा रहा कसम

किसान ने काफी अच्छी पैदावार की है लेकिन बावजूद इसके वह अब दोबारा फसल न लगाने की कसमें खा रहा है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। गांवं वालों के सामने उसने अपना दर्द सुनाया और खुद से वादा किया कि अब वह दोबारा ऐसी गलती नहीं करेगा।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 24, 2022 9:55 AM IST

सागर : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में इन दिनों एक किसान का वीडियो खूब चर्चा में है। वह कान पकड़कर उठक-बैठक लगा रहा है और कसम खा रहा है कि अब कभी भी फसल नहीं लगाएगा। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह तस्वीर और वीडियो बुंदेलखंड के सागर (Sagar) जिले की रहली तहसील के एक किसा न की बताई जा रही है। वीडियो में वह कसम खा रहा है कि अब दोबारा कभी भी लहसुन और प्याज की खेती नहीं करेगा। किसान के ऐसा करने पर हर तरफ उसकी चर्चा हो रही है।

मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई
किसान का नाम राधेश्याम है और वह संदई गांव का रहने वाला है। उसने अपने तीन एकड़ के खेत में लहसुन और प्याज की खेती की थी। इसकी अच्छी पैदावार हुई तो उसे नुकसान उठाना पड़ा। प्याज पांच से छह रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा तो लहसुन की कीमत भी 15 से 25 रुपए के आसपास ही बनी हुई है। इससे किसान काफी उदास है। किसान ने गांववालों के सामने  उठक-बैठक की और कसम खाई कि अब वह कान पकड़ता है कि कभी भी लहसुन-प्याज की खेती नहीं करेगा। इसी दौरान गांव में किसी ने उसका वीडियो बना लिया और उसे वायरल कर दिया।

मुनाफा के चक्कर में भूल कर बैठा
दरअसल, किसान ज्यादा कमाई के चक्कर में इस सीजन गेहूं-चने की बजाय लहसुन और प्याज की खेती की। जब फसल तैयार हुई तो बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ गई और कीमत गिरकर काफी नीचे आ गई। लहसुन और प्याज काफी कम पर बिकने लगा। कई किसानों के पास लहसुन और प्याज का स्टॉक रखने पूरी व्यवस्था नहीं है तो वे किसी तरह औने-पौने दाम पर अपनी फसल निकाल रहे हैं। किसान राधेश्याम भी अपना दुख सुनाते हुए कह रहा है कि उसने साहूकार से उधार लेकर लहसुन-प्याज लगाया था, फसल की कीमत ने ऐसा धोखा दिया है कि अब उसके पास उधार चुकाने के पैसे नहीं है और साहूकार अपना पैसा मांग रहा है।

देवरी में सबसे ज्यादा लहसुन-प्यार की खेती
बता दें कि सागर की देवरी तहसील में लहसुन और प्याज की सबसे ज्यादा पैदावार होती है लेकिन इस साल किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। पिछले साल जो लहसुन 60 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम थोक में बिक रहा था, उसकी कीमत इस बार आधी भी नहीं मिल रही है। किसानों का कहना है कि उपज कम और भाव न मिलने से उन्हें इस बार दोहरे संकट से गुजरना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि इस साल हर साल की तुलना में दूसरे राज्यों से भी कम डिमांड हो रही है। इससे परेशानी बढ़ गई है।

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