सफाई का चौका लगाने वाला भारत का ये शहर हर साल कचरे से करता है इतने करोड़ की कमाई

वारसी ने बताया कि आईएमसी गीले कचरे के प्रसंस्करण से कम्पोस्ट खाद और बायो सीएनजी ईंधन बना रहा है। इसके अलावा, नये निर्माण किये जाने और पुराने निर्माण ढहाये जाने के दौरान निकलने वाले मलबे से ईंटें, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य निर्माण सामग्री बनायी जा रही है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2020 9:17 AM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश): "स्वच्छ सर्वेक्षण 2020" में अव्वल रहकर लगातार चौथी बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का खिताब हासिल करने के लिये जोर लगा रहे इंदौर में कचरा अब "कीमती" चीज बन गया है। नगरीय निकाय ने अलग-अलग तरीकों से कचरे के प्रसंस्करण का नवाचारी मॉडल तैयार किया है जिससे उसे हर साल तकरीबन चार करोड़ रुपये की कमाई हो रही है।

केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिये इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के सलाहकार असद वारसी ने रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया कि सार्वजानिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के आधार पर एक निजी कम्पनी ने शहर में 30 करोड़ रुपये के निवेश से कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से संपन्न स्वचालित कचरा प्रसंस्करण संयंत्र लगाया है। देश में संभवत: अपनी तरह के पहले संयंत्र में हर दिन 300 टन सूखे कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है।

रोबोटिक प्रणाली से कचरे का मैनेजमेंट-

उन्होंने बताया, "रोबोटिक प्रणाली वाले इस संयंत्र की खासियत यह है कि इसके सेंसर सूखे कचरे को छांट कर अलग कर देते हैं। प्रसंस्करण के बाद सूखे कचरे में से कांच, प्लास्टिक, कागज, गत्ता, धातु आदि पदार्थ अलग-अलग बंडलों के रूप में बाहर निकल जाते हैं।" वारसी ने बताया कि साफ-सफाई की राष्ट्रीय रैंकिंग से जुड़े "स्वच्छ सर्वेक्षण" में लगातार तीन बार में देश भर में अव्वल रहे शहर में इस संयंत्र के लिये आईएमसी ने चार एकड़ जमीन दी है। उन्होंने बताया, "इस जमीन के अलावा शहरी निकाय ने यह संयंत्र लगाने में कोई वित्तीय निवेश नहीं किया है।

शहरी निकाय को 2.5 करोड़ रुपये की सालाना कमाई हो रही-

लेकिन करार के मुताबिक संयंत्र लगाने वाली निजी कम्पनी कचरे के प्रसंस्करण से होने वाली आय में से आईएमसी को हर साल 1.51 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदा करेगी।" वारसी ने बताया कि आईएमसी गीले कचरे के प्रसंस्करण से कम्पोस्ट खाद और बायो सीएनजी ईंधन बना रहा है। इसके अलावा, नये निर्माण किये जाने और पुराने निर्माण ढहाये जाने के दौरान निकलने वाले मलबे से ईंटें, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य निर्माण सामग्री बनायी जा रही है। इन सभी उत्पादों की बिक्री से शहरी निकाय को कुल 2.5 करोड़ रुपये की सालाना कमाई हो रही है।

तीन संगठन  कर रहे घरों से कचरा इकट्ठा-

कचरे से कमाई की अन्य नवाचारी परियोजना के तहत आईएमसी ने निविदा प्रक्रिया के आधार पर तीन गैर सरकारी संगठनों को घर-घर से सूखा कचरा इकट्ठा करने का जिम्मा सौंपा है। आईएमसी के स्वच्छता सलाहकार ने बताया, "पहले चरण में ये गैर सरकारी संगठन शहर के करीब 22,000 घरों से सूखा कचरा इकट्ठा कर रहे हैं। घर के मालिकों को हर एक किलोग्राम सूखे कचरे के बदले एनजीओ की ओर से 2.5 रुपये का भुगतान किया जा रहा है।"

हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे इकट्ठा किया जा रहा-

वारसी ने बताया कि करार के मुताबिक, गैर सरकारी संगठन कचरा संग्रहण से होने वाली कमाई में से आईएमसी को एक निश्चित राशि के प्रीमियम का भुगतान भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा किया जाता है। इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है।

देश भर में "स्वच्छ सर्वेक्षण 2020" चार जनवरी से शुरू हो चुका है जो 31 जनवरी तक चलेगा। हालांकि, इंदौर ने इससे पहले ही सफाई के इस सालाना मुकाबले में बढ़त बना ली है। इस सर्वेक्षण की दो आरंभिक लीगों की रैंकिंग में मध्यप्रदेश का यह सबसे बड़ा शहर देश भर में अव्वल रहा है। आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दो स्वच्छ सर्वेक्षण लीगों (अप्रैल से जून और जुलाई से सितंबर) के ये तिमाही आधारित नतीजे 31 दिसंबर को नयी दिल्ली में घोषित किये थे।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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